हमें भारतीय होने पर गर्व हैं …..

-राजीव कुमार बिश्‍नोई

अमेरिका में वहां के राष्ट्रपति पर उनकी नागरिकता पर जब सवाल उठाया गया , या 9/11 की बरसी पर कुरान शरीफ जलाने की एक पादरी द्वारा दी गई धमकी ये हाल ही में घटी वो घटनाये हैं जो पूरी दुनिया के मिडिया की सुर्खिया बनी अमेरिकी प्रशासन भी इस तरह की भ्रामक बातों से जेसे तेसे बहार निकले में उलझता रहा, अगर भारत की बात की जाये तो हमारे यहाँ लगभग 120 करोड़ की आबादी वाले देश में इस तरह की घटनाये चलती आ रही हैं लेकिन ये घटनाये हमारी राट्रीय अस्मिता पर कोई आंच नही आने देती ये वही सबसे बड़ा फर्क जो हमें दुनिया के ग्लोब पर धर्म-निरपेक्ष की छवि प्रदान करता हैं। यानि जितना सयंम हम भारतीयों में हैं वो पूरी दुनिया के सामने एक मिशाल हैं और हमें भारतीय होने का गर्व प्रदान करती हैं|

भारत के तीन बड़े नेता जिनमे प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह का जन्म पाकिस्तान में हुआ , श्री लाल कृष्ण आडवानी भी पाकिस्तान में जन्मे है व यु.पी.ए. अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गाँधी इटालियन मूल की हैं, लेकिन हम भारतवाशियो ने कभी इन्हे रास्ट्रीय अस्मिता को हानी पहुचने वाला नही माना,चुकी हमारा संविधान कभी इसकी इजाज़त नही देता , जो हमें भारतीय होने का गर्व प्रदान करता हैं।

भारत विकासशील देशो की कतार में उन देशो में आगे हैं जिन्होंने दुसरे देशो को आर्थिक सहायता की हैं

भारत सरकार ने आठ वर्ष में विभिन्न देशों को लगभग 130 अरब रूपए की सहायता प्रदान की है। भले ही भारत सरकार विकास कार्यो के लिए विश्व बैंक व धनी देशों से धन लेती रहती है, लेकिन उसने अपने पड़ोसी देशों को भी दिल खोल कर मदद दी है। जो देश की बढती आर्थिक मजबूती का प्रतिक हैं

भारत की ओर से सर्वाघिक मदद प्राप्त करने वाले देशों में शीर्ष पर भूटान है। भूटान को आठ वर्ष में 70.14 अरब रूपए की मदद दी गई, जिसके तहत वहां ताला जल विद्युत परियोजना, खूंचू जल विद्युत परियोजना, पूनारसंगचू जल विद्युत परियोजना के अलावा दूंगसम सीमेंट परियोजना का विकास किया गया। पिछले तीन वर्षो में बांग्लादेश को लगभग 1.74 अरब रूपए का ऋण दिया गया। दुनिया के कुछ अन्य विकासशील देशों को आठ वर्ष में 21.49 अरब रूपए और कुछ अफ्रीकी देशों को 5.42 अरब रूपए प्रदान किए गए।

अफगानिस्तान को वित्त वर्ष 2007-08 से आर्थिक मदद शुरू की गई और इस वर्ष 4.34 अरब रूपए का आवंटन किया गया। इसके तहत काबुल-खुमरी डबल सर्किट ट्रांसमिशन लाइन के लिए विशेष तौर पर वित्त पोषण किया गया। 2008-09 में अफगानिस्तान को 4.18 अरब रूपए ,2009-10 में 2.87 अरब रूपए की मदद प्रदान की गई जिसके तहत दोस्त और चरख इलाके में दो विद्युत पारेषण केंद्र स्थापित करने के कार्यक्रम को रखा गया।

देश का उत्तरी भाग जो धरती का स्वर्ग है यानि कश्मीर , वो कुछ अरसे से झुलस रहा हैं, हालाँकि सरकार व सर्वदलीय राजनेतिक पार्टिया इसे सुलझाने में लगी हैं, या दक्षिणी -पूर्वोतर में नक्सली समस्या ….जो देश के सामने बड़ी चुनोती हैं……………|उम्मीद हैं की निकट भविष्य में हम इनसे भी बाहर निकल आयेगे। आने वाला समय हम युवाओ का हैं।पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा युवा आबादी भारत की हैं, और इतनी प्रतिभावान हैं की अमेरिकी राष्ट्रपति भी भयभीत होकर अमेरिकियो को नसीहत देते हैं अपने आप को शिक्षा में दक्ष बनाओ ,वरना भारतीय और चीनी तुम्हारी जगह हथिया लेगे।

देश की आर्थिक विकास दर 2009 -2010 में सकल घरेलु उत्पाद की वृधि 7 .2 % की उम्मीद हैं , वही उद्योगिक विकास दर 8.2 % ,सेवा क्षेत्र 8.7% बढे हैं। हलाकि देश का आबादी आधारभूत ढांचा कृषि की विकास दर में -0.2 % की मामूली गिरावट आई है।

लेकिन खाद्यानो की कमी देश में बिलकुल भी नही हैं पर PDS सिस्टम की खामी के कारण अनेक परिवार आज भी मानक मात्रा में अन्न नही ले पा रहे हैं।जो कही न कहीं हमारी सफलता की हुनकर को कम करती हैं।

चूँकि अब देश में एशियाड गेम के बाद सबसे बड़े खेल आयोजन का समय हैं ,हालाँकि हमारे नेता , नोकर-शाहों की वजह से देश को बड़ी फजीयत झेलनी पड़ी हैं , जब माननीय अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में इस आयोजन को हरी झंडी मिली तब इसका बजट महज 767 करोड़ था , अब संसद में कुछ सदस्यों द्वारा इसका अनुमानित व्यय 1 लाख करोड़ तक बताया जाता हैं| इतनी बड़ी धन राशी का व्यय होना अपने आप में प्रश्न चिन्ह हैं ? अब सवाल उठाने से कोई तर्क नही बनता ,या तो आयोजन से पहले मीडिया,सरकार,या स्वयसेवी संघटन पहले कोई आवाज उठाते, अब वक्त पर शेर आया …शेर आया चिलाने पर न तो मचान बन पायेगा और न ही शेर का शिकार हो पायेगा , अब तो शेर से दूर भागने में ही भलाई हैं। हालाँकि कुछ लोग इन खेलो का विरोध भी कर रहे है और उनका ये विरोध शायद जायज भी है पर जो भी हमारे मेहमान खिलाडी,फोरेन डेलिगेशन के सदस्य है हम सभी हमारी वर्षो पुरानी “अतिथि देवो भव:” की परम्परा का निर्वहन करते हुआ उनका तहदिल से स्वागत करने को बेताब हैं|

इन विवादों पर चुप रहना हमारी कमजोरी नही हैं पर उम्मीद हैं की हमारी जागरूकता ही हमारा सुनहरा भविष्य निर्धारित करती हैं…….इसलिए हर क्षेत्र में हमारा विकास का आंकड़ा आज पूरी दुनिया में हमें भारतीय होने का अभिमान प्रदान करता हैं।

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