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प्रिय अपनी बाहों में भर लो। - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
विप्रलम्ब तन शीतल मन शीतल कर दो, प्रिय अपनी बाहों में भर लो। --------------------------------------- मंद हवाओं का ये झौंका, आंचल को सहलाता हैं। --------------------------------------- पुष्पों की सुरभित मादकता, तन में आग लगाता है। --------------------------------------- मिलने की उत्कंठा दिल में, धड़कन और ब़ाता है। --------------------------------------- तेरे आने की हर आहट,…