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हम नज़रबन्द हो गये हैं ! - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
कीर्ति दीक्षित वो बेधड़क हंसी! वो मुहल्लों की चुगलियां ! वो आपसी संवाद ! सब आश्चर्यसूचक चिन्ह के भीतर के कथन हो गये हैं । खासकर शहरी जीवन में, अब दिल्ली को ही ले लीजिए कभी आप मेट्रो में यात्र कीजिए तो उम्र कुछ भी हो लेकिन तनाव में डूबे…