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प्राणों का हम अर्द्ध चढ़ायें - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
भोर भये रेवा तीरे, पावस पवन श्रृंगार किये। धन्य हुई है मेरी नगरी, जन-मानस सत्कार किये।। हर दिन यहां पर प्रफुल्लित आये, पर्वो की सौगात लिये। रोज नहाये रेवा जल में, हम खुशियों सा मधुमास लिये।। जहं-तहं मन्दिर बने हुए हैं, रेवा तट का उल्लास लिये। नित मंत्र जपे ओैर…