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दिवाली की दौलत - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
तारकेश कुमार ओझा ------------ चंद फुलझड़ियां , कुछ अनार जान पड़ते दौलत अपार ... क्या जलाए , क्या बचाएं धुन यही दिवाली यादगार बनाएं दीपावली की खुशियां सब पर भारी लेकिन छठ, एकदशी के लिए पटाखे बचाना भी तो है जरूरी आई रोशनाई, छू मंतर हुई उदासी पूरी रात भागमभाग…