बड़े – बड़ों की शादी और बीमारी …!!

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तारकेश कुमार ओझा

पता नहीं तब अपोलो या एम्स जैसे अस्पताल थे या नहीं, लेकिन बचपन में  अखबारों में किसी किसी चर्चित हस्ती खास कर राजनेता के इलाज के लिए विदेश जाने की खबर पढ़ कर मैं आश्चर्यचकित रह जाता था। अखबारों में अक्सर किसी न किसी बूढ़े व बीमार राजनेता की बीमारी की खबर होती । साथ में उनके इलाज के लिए विदेश रवाना  होने से संबंधित तस्वीरें भी। ऐसी खबरों से  मैं सोच में पड़ जाता था कि  देश चलाने वाले अपने इलाज के लिए विदेश जाकर क्या देश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर खुद ही सवालिया निशान नहीं लगा रहे हैं। शादी , छुट्टियां या बीमारी के इलाज के लिए विदेश सिर्फ राजनेता ही नहीं बल्कि दूसरी  क्षेत्र की नामचीन हस्तियां भी जाया करती थी। पता लगता कि फलां ने फलां से शादी कर ली और हनीमून मनाने निकल गया किसी विदेशी लोकेशन पर। 80 – 90 के दशक की फिल्मों में अक्सर देखने को मिलता कि हीरो – हीरोइन ने सात फेरे लिये और पलक झपकते दोनों किसी विदेशी टूरिस्ट प्लेस पर पेड़ों के इर्द – गिर्द नाच – गा रहे हैं। ऐसे दृश्य तब की हमारी जवान हो रही पीढ़ी को हैरत में डाल देती थी। खैर  आश्चर्य करने से भला किसी पर क्या फर्क पड़ने वाला था। ताज्जुब तो नामचीनों के छुट्टियां बिताने विदेश जाने पर भी होता था। क्योंकि नजदीकी टूरिस्ट प्लेस भी हम जैसे लोग एक उम्र् गुजरने के बाद ही जा पाए थे। कुछ आर्थिक परेशानियां तो कुछ खुद को गैर जिम्मेदार या ऐश पसंद साबित करने से बचने के लिए। खैर मेरे छात्र जीवन में ही एक  राजनेता कम अभिनेत्री के विदेश में प्रसव की खबर की उस दौर के समाचार पत्र में खूब सुर्खियां बनी थी। कहा गया कि अभिनेत्री ने अपने नवजात को विदेशी नागरिकता दिलाने के लिए यह कदम उठाया। बहरहाल कुछ दिनों के विवाद के बाद हमेशा की तरह उस अभिनेत्री ने सुर्खियों में चल रही  उस खबर का खंडन कर दिया था। इधर  अनेक हृदयविदारक घटनाओं के बीच बीता पखवाड़ा खबरों की जबरदस्त खुराक वाला रहा। सनकी तानाशाह , बाबा रहीम के रहस्यमयी तिलस्म और क्रिकेट के विराट की शादी से जुड़ी खबरें दर्शकों के सामने चटपटे व्यंजनों से सजी थाली की तरह परोसी जाती रही। ये तीनों महानुभव पिछले कई महीनों से खबरों की दुनिया को गुलजार किए हुए हैं। पहले बात बाबा की । जो इन दिनों जेल में है। लेकिन इनके कारनामे आम लोगों को किसी रहस्यमयी दुनिया का आभास कराते हैं। समझ में नहीं आता कि जेल जाने से पहले ये बाबा क्या – क्या करते थे। यदि कारस्तानियां ऐसी – ऐसी तो इतनी दौलत किस जादू से जमा कर ली।  इनके चेले – चेलियां और शागिर्दों के कारनामे बाबा से किसी भी मायने में कम नहीं। कभी इस कुनबे की काली कमाई अरबों – खरबों में बताई जाती रही। वैभवपूर्ण खबरों से टेलीविजन के पर्दे पर रंगीनियत बिखरती रही। अचानक बताया गया कि बेचारी बाबा की एक चेली कंगाल हो चुकी है। उसके पास वकील करने लायक भी पैसे नहीं। दो – चार दिनों की गुमनामी के बाद जैसे ही हम बाबा के कारनामों को भूलने की कोशिश करते तभी कोई न कोई चैनल फिर इसी विषय पर चटपटी खबरें लेकर हाजिर हो रहा है। आब देश से हजारों मील दूर बसे सनकी तानाशाह की। यह शख्स भले ही विदेशी हो, लेकिन अपने चैनल वालों के खूब काम आ रहा है। लगता है कि यह मीडिया के लिए बगदादी का बेहतर विकल्प बन कर उभरा है। रोज किसी न किसी चैनल पर सनकी तानाशाह के हैरत अंगेज कारनामों के बारे में चटपटी खबरें परोसी जाती  है। सोचना पड़ता है कि  इतना सनकी और बददिमाग आदमी क्या किसी देश का शासक बने रह सकता है। खैर खबरों के हाईडोज में क्रिकेट के विराट की शाही शादी  ने भी कम स्वाद नहीं दिया वह भी विदेश में। शादी से ज्यादा अपना ध्यान विदेशी लोकेशन ढूंढने में ही व्यस्त रहा कि कम से कम टेलीविजन के पर्दे पर ही विदेशी धरती की सुरम्य वादियों के दर्शन हो जाएं।सोशल मीडिया से लेकर चैनलों तक में हर जगह इस शादी को ऐतिहासिक बनाने में कोई कसर नहीं रहने दी गई। शादी के बाद मधुचंद्रिमा की तस्वीरें भी छाई रही। खैर बड़े लोगों की  शादी हो या बीमारी अपने आप में ही बड़ी खबर जरूर है।

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तारकेश कुमार ओझा
पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ हिंदी पत्रकारों में तारकेश कुमार ओझा का जन्म 25.09.1968 को उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में हुआ था। हालांकि पहले नाना और बाद में पिता की रेलवे की नौकरी के सिलसिले में शुरू से वे पश्चिम बंगाल के खड़गपुर शहर मे स्थायी रूप से बसे रहे। साप्ताहिक संडे मेल समेत अन्य समाचार पत्रों में शौकिया लेखन के बाद 1995 में उन्होंने दैनिक विश्वमित्र से पेशेवर पत्रकारिता की शुरूआत की। कोलकाता से प्रकाशित सांध्य हिंदी दैनिक महानगर तथा जमशदेपुर से प्रकाशित चमकता अाईना व प्रभात खबर को अपनी सेवाएं देने के बाद ओझा पिछले 9 सालों से दैनिक जागरण में उप संपादक के तौर पर कार्य कर रहे हैं।

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