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हिमकर श्याम उमंगों की डोली ले आया कहार चुनर लाल ओढ़े खड़ा कोई द्वार कनक रश्मियों में समायी है भोर हुए स्वपन पुलकित, हुआ मन विभोर नयी भोर आयी है लेकर बहार नयी धुन फिजाओं में बजने लगी नयी आरजू है, नयी है खुशी उम्मीदों के रथ…