गए थे नवोदित खिलाड़ी से मिलने , याद आने लगे धौनी…!!

तारकेश कुमार ओझा
कहां संभावनाओं के आकाश में टिमटिमाता नन्हा तारा और कहां क्रिकेट की
दुनिया का एक स्थापित नाम। निश्चित रूप से कोई तुलना नहीं। लेकिन पता
नहीं क्यों मुझे उस रोज नवोदित क्रिकेट खिलाड़ी करण लाल से मिलते समय बार
– बार जेहन  में महेन्द्र सिंह धौनी का ख्याल आ रहा था। इसकी ठोस वजहें
भी हैं। क्योंकि करीब 18 साल पहले मुझे धौनी का  भी साक्षात्कार लेने का
ऐसा ही मौका मिला था। जब वे मेरे शहर खड़गपुर में रहते हुए टीम इंडिया
में चुने जाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। यह 2001 की बात है। तब  मैं
जमशेदपुर से प्रकाशित दैनिक पत्र के लिए जिला संवाददाता के तौर पर कार्य
कर रहा था। पत्रकारिता का जुनून सिर से उतरने लगा था। कड़वी हकीकत से हो
रहा लगातार सामना मुझे विचलित करने लगा । आय के साधन अत्यंत सीमित जबकि
जरूरतें लगातार बढ़ रही थी। तिस पर पत्रकारिता से जुड़े रोज के दबाव और
झंझट – झमेले। विकल्प कोई था नहीं और पत्रकारिता से शांतिपूर्वक रोजी –
रोटी कमा पाना मुझे तलवार की धार पर चलने जैसा प्रतीत होने लगा था। हताशा
के इसी दौर में  एक रोज डीआरएम आफिस के नजदीक हर शाम चाउमिन का ठेला
लगाने वाले  कमल बहादुर से मुलाकात हुई। कमल न सिर्फ खुद अच्छा क्रिकेट
खिलाड़ी है बल्कि आज भी इसी पेशे में हैं। मैं जिस अखबार का प्रतिनिधि था
कमल उसका गंभीर पाठक भी है, यह जानकर मुझे अच्छा लगा जब उसने कहा ….
तारकेश भैया … आप तो अपने अखबार में इतना कुछ लिखते हैं। अपने शहर के
नवोदित क्रिकेट खिलाड़ी महेन्द्र सिंह धौनी के बारे में भी कुछ लिखिए। इस
शानदार खिलाड़ी का भविष्य उज्जवल है। मैने हामी भरी। बात उनके शहर लौटने
पर मिलवाने की हुई। लेकिन कभी ऐसा संयोग नहीं बन पाया। 2004 तक वे शहर
छोड़ कर चले भी गए, फिर क्रिकेट की दुनिया में सफलता का नया अध्याय शुरू
हुआ। क्रिकेट की भाषा में कहें तो यह अच्छे से अच्छा फील्डर से कैच छूट
जाने वाली बात हुई। धौनी को याद करते हुए करण लाल से मिलने का अनुभव
लाजवाब रहा।  टीम में चुने जाने से पहले तक धौनी की पहचान अच्छे
विकेटकीपर के तौर पर थी। वे इतने विस्फोटक बल्लेबाज हैं यह उनकी  सफलता
का युग शुरू होने के बाद पता चला। लेकिन करण अच्छा बल्लेबाज होने के साथ
बेहतरीन गेंदबाज भी है और टीम में चुने जाने के बिल्कुल मुहाने पर खड़ा
है। पत्रकारिता और क्रिकेट में शायद यही अंतर है। क्रिकेट का संघर्षरत
खिलाड़ी भी स्टार होता है। करियर के शुरूआती दौर में महेन्द्र सिंह धौनी
जब रेलवे  की नौकरी करने मेरे शहर खड़गपुर शहर आए तब भी वो एक स्टार थे।
टीम में चुने जाने और अभूतपूर्व कामयाबी हासिल करने के बाद वे सेलीब्रेटी
और सुपर स्टार बन गए। करण लाल भी आज एक स्टार है। उसका जगह – जगह नागरिक
अभिनंदन हो रहा है। बड़े – बड़े अधिकारी और राजनेता उनसे मिल कर खुद को
गौरवान्वित महसूस करते हैं।

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