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कितना ओछा है आदमी - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
मेरे अवचेतन मन में दफन है शब्दों का सागर जब कभी चेतना आती है मेरा मन भर लाता है शब्दों की एक छोटी सी गागर। जब मैं गागर को उलीचता हूँ तो शब्दों के जल में मिलते है सांस्कृतिक मूल्य,परनिंदा ओर कल्पनाओं का सुनहरा संसार । सत्य धीरे-धीरे बन जाता…