कैसा ये बन गया समाज

-रवि श्रीवास्तव-
polls_socialism_2456_387980_poll_xlarge_477077897_991326672

कैसा ये बन गया समाज, क्या है इसकी परिभाषा,
हर तरफ बढ़ गया अपराध, बन रहा खून का प्यासा।

मर्डर चोरी बलात्कार, बन गया है इसका खेल,
जो नही खाता है देखो, इक सभ्य समाज से मेल।

बदलती लोगों की मानसिकता, टूट रही घर घर की एकता,
जिधर भी देखो घूम रही है, लालच की तो अभिलाषा।
कैसा ये बन गया समाज, क्या है इसकी परिभाषा।

खून बना है पानी जैसा, सबका मतलब बन गया है पैसा,
दरिंदगी बढ़ रही है इसमें, मनुष्य बन रहा जानवरों के जैसा।

छल कपट का बढ़ता विस्तार, रिश्ते भी हो रहे तार-तार,
अपनों का अपने के ऊपर, टूट रही विश्वास की आशा।

कैसा ये बन गया समाज, क्या है इसकी परिभाषा,
हर तरफ बढ़ गया अपराध, बन रहा खून का प्यासा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here