जितनी समस्या है विदेशी मजहब अपनाने से

—विनय कुमार विनायक
आज तमाम इस्लामी औ’ गैर-इस्लामी मुल्क में,
जितनी समस्याएं है विदेशी मजहब अपनाने से!

विदेशी मजहब मानने से, मानवता बदल जाती,
पराई आस्था संस्कृति परंपरा अपना ली जाती!

अपनी अच्छाई छोड़कर पराई बुराई पाई जाती,
कोमलता को त्यागकर क्रूरता ग्रहण की जाती!

हिन्दू बौद्ध संस्कृति के अफगानिस्तान की दशा,
इस्लाम ग्रहण करने के बाद हो गई ऐसी दुर्दशा!

आज वहां मुस्लिम ही मुस्लिम को मार रहा है,
विकृत तालीम वाले बर्वर बनकर संहार रहा है!

अफगान आज तबाह है तालिबानी आतंक से,
समान मजहबवाले मर रहे मजहबी विध्वंस से!

आज अफगानिस्तान के लिए एकमात्र निदान,
विदेशी धर्म छोड़ पैतृक धर्म को फिर ले मान!

चाहे हो अफगानी पाकिस्तानी बांग्लादेशीजन,
खून खराबे वाले मजहब पाकर हो गए निर्धन!

भारत से पाकिस्तान की दुश्मनी की है वजह,
दोनों हिन्दू मूल के हैं पर एक विदेशी मजहब!

पाकिस्तानी सच को स्वीकारते नहीं कि वे हैं
नस्ल से हिन्दू, अरबी हो सकते कदापि नहीं!

पाकिस्तानी अरबी शेख की नकल करके वे
बन गए शेखचिल्ली,लड़ पड़े बंगाली बंधु से!

बंगाली मुस्लिम जानते कि वे मूल रूप से हैं
बंगाली नस्ल के धर्मांतरित हिन्दू बौद्ध भाई!

आज पाकिस्तान के पंजाबी हिन्दी मुस्लिम,
हिन्दू सिख भाइयों के लिए बन गए कसाई!

वक्त की आवाज है कि विदेशी मजहब को
अविलंब त्यागके,करले पितृधर्म में वापसी!

सभी समस्या का निदान मिलेगा हिन्द और
पाक-बांग्लादेश मिलेगा, रिश्ता हो आपसी!

अफगानी पाकिस्तानी बंगाली मुस्लिम को,
अरबी कभी बराबर समझ अपनाएगा नहीं!

चाहे जितना रंग ढंग पहनावे नकल कर ले,
तुम अरबी नहीं भारतीय हिंदू जैसा दिखते!

विदेशी मजहब मानना बड़प्पन नहीं गुलामी,
अपने देश धर्म व संस्कृति की होती है हानि!

विदेशी मजहब में तर्क वितर्क की है मनाही,
तर्क वितर्क प्रयोग परीक्षण रीति विज्ञान की!

विज्ञान के बिना मनुज का जीवन होता दूभर,
विज्ञान है टैंक मिसाइल मोबाइल व कम्प्यूटर!

बिना विज्ञान कोई धर्म व मजहब टिकता नहीं,
विज्ञानहीन मनुज पशुभाव में भी बिकता नहीं!

धर्म मजहब के अंधविश्वास से उबरो रे मानव,
मजहबी उन्माद आतंक से मत बनो रे दानव!

दानव दानव में मेल मिलाप कभी होता नहीं,
एक दानव का दूसरे दानव से प्रेम होता नहीं!

मजहबी आतंकी दानव से मानव बन जाओ,
इंसान बनकर इंसान के निस्वार्थ काम आओ!
—विनय कुमार विनायक

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