हर तरफ
जलन ही जलन
पद से बढ़ा रहें हैं
लोग
अपना अपना कद
हो रही है खूब आमद
और
खूब खुशामद
रहते हैं पूरा लक – दक
पद का ऐसा है मद
नहीं मानते आजकल
कोई भी हद
भले ही बीच में
क्यों न पिट जाए भद
ज्ञानी जन कहते हैं
पद को सर पर
न चढ़ने दें, वही अच्छा
समझे न जो इस सच को
समझ लें, समझदारी में
अभी भी हैं वह कच्चा
पद नहीं रहेगा जब
भ्रम टूटेगा तब ?