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दास्तां सुन कर क्या करोगे दोस्तों ...!! - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
तारकेश कुमार ओझा ------------------------- बचपन में कहीं पढ़ा था रोना नहीं तू कभी हार के सचमुच रोना भूल गया मैं बगैर खुशी की उम्मीद के दुख - दर्दों के सैलाब में बहता रहा - घिसटता रहा भींगी रही आंखे आंसुओं से हमेशा लेकिन नजर आता रहा बिना दर्द के समय…