जब डा. हेडगेवार चल पड़े 32 मील

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परम पूज्यनीय डॉ हेडगेवार जी के जीवन की एक बहुत ही प्रेरक घटना है | समय पालन के लिए डा. जी कितने प्रतिबद्ध थे आप स्वयं देख सकते हैं | एक बार प.पू. डॉ. हेडगेवार चार स्वयंसेवको के साथ अदेगांव गए | वहां किसी स्वयंसेवक के घर पर कोई कार्यक्रम था | शनिवार का दिन था | भोजनादि करने कराने में देर हो गयी |  नागपुर जाने का आखिरी वाहन भी निकल गया | उन दिनों संघ अपनी शैशवास्था में था | नागपुर में हर रविवार को स्वयंसेवको का एकत्रीकरण और समता कार्यक्रम होता था | जिसमे सभी लोगो का उपस्थित रहना अनिवार्य था |

अदेगांव से नागपुर की दूरी लगभग 32 मील है | रात का समय और जंगल का रास्ता | इसपरिस्थति में डा. साहब ने पैदल जाने का निर्णय किया | सभी लोगो ने डा. साहब को न जाने की सलाह दी | तब प.पू. हेडगेवार जी ने कहा “हम लोग रात भर चलते रहेंगे | पर प्रात: निर्धारित समय पर संघ स्थान पर उपस्थित होंगे | ” बस इतना कहकर वो अपने चारों स्वयंसेवको के साथ चल दिए | कहते हैं ” हिम्मते मर्दा, मदद ए खुदा | ” आठ दस मील चलने के बाद एक नागपुर जाने वाली मोटर उनके पास आकर रुकी | ड्राइवर परिचित था बोला अरे “डा. साहब इतनी रात में कहाँ ? ” डा. जी ने कहा कि ” भाई नागपुर जाना आवश्यक था | कोई साधन नहीं था | फिर क्या करता ? ” ड्राइवर ने कहा “तब आइये बैठिये | ” रात लगभग 2 बजे डा. साहब नागपुर पहुंचे | और अगली सुबह ठीक समय संघस्थान पर उपस्थित हुए |

क्या आप जानते हैं कि मुझे ये सब कहने की जरूरत क्यों पड़ी ? नहीं न | चलिए मैं बताता हूँ | हाल ही मैं आगरा में बृज प्रान्त का युवा संकल्प शिविर संपन्न हुआ | बृज प्रदेश के लगभग 5500 युवाओ को बड़े बड़े विचारको का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ | करियर पर बात हुई | युवाओ को क्या करना चाहिए ? संघ पर बात हुई | संघ दर्शन क्या है ? संघ की कार्यशैली क्या है ? किस तरह संघ राष्ट्र सेवा में संलग्न हैं ? कुल मिलाकर एक बहुत अच्छा सन्देश युवाओ में गया | राष्ट्रभक्ति की एक लहर पैदा हुई | किन्तु जनरल वी के सिंह के शिविर में लेट पहुँचने और उनका भाषण कैंसिल कर देने से ये शिविर विवादों में आ गया | मीडिया को संघ पर ऊँगली उठाने का एक नया मुद्दा मिल गया | खामख्वाह इस मुद्दे को तूल दे दिया गया |

संघ में अनुशासन का बहुत महत्व है | हर स्वयंसेवक एक सैनिक है | पूर्ण गणवेश के बिना आप किसी शिविर में भाग नहीं ले सकते | हर शिविर में एक -एक मिनट की समय सारणी (टाइम टेबल ) होती है | जिसे पूरी तरह से फोलो किया जाता है | साधारण शाखा में भी आपको समय से ही आना होता है | अगर आप विलम्ब से आते हैं तो आपको २ बार ध्वज प्रणाम करना होता है | बैठक में विलम्ब से आने पर चुपचाप पीछे बैठना होता है | इन नियमो में किसी को भी छूट नहीं मिलती | क्युकि संघ में किसी को भी छोटा या बड़ा नहीं माना जाता | और यही जनरल साहब के साथ भी हुआ | समय से न आने पर उनका कार्यक्रम कैंसिल कर दिया गया | इस पर हाय तौबा कैसी ?

1 COMMENT

  1. I was Sangh Svayam Sevak and till am,although not now living in India,my thoughts are not changed,Sangh has given a very
    good dicipline in my life.
    As far as this episode is concern whoever is Sangh prnciples should not change to the convinience of anyone.
    This ia an army for the defence and protection of our Hindu way of life and it is not any circustances negotialble.

  2. आदरणीय मधुसूदन जी ,
    जनरल साहब ने इसका बुरा नहीं माना | इस घटना के बाद प.पू भागवत जी से उनकी मुलाकात भी हुई | यहाँ सवाल मीडिया के बखेड़ा खड़ा करने को लेकर है |

  3. जनरल वी. के. सिंह जी भी, सैनिक अनुशासन जानते ही हैं। उन्हें कोई आपत्ति नहीं होंगी। पर संचार माध्यम को चाहा अवसर मिल जाएगा। lIkhate rahie.

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