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जब मन की मेरी बात सुने मेरे सँवरिया ! - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
जब मन की मेरी बात सुने मेरे सँवरिया; आनन्द गंग बहे चले मेरे प्रहरिया ! लहरों में घुमा प्रस्तर तर आए नज़रिया; बृ़क्षों की व्यथा उर में रखे चमके वे दुनियाँ ! बादल में घुमड़ सूर्य रमण देखे वे नदिया; वायु में रमे हिय में फुरे मन वन फिरिया !…