जब पिया घर नहीं आए

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साजन मेरे नहीं आए,
मेरा सावन सूखा जाए।
मै क्या करू राम अब ?
जब पिया घर नहीं आए।।

उमड़ घुमड़ कर बदरा आए,
प्यासी धरती की प्यास बुझाए
मेरी प्यास अब कौन बुझाए ?
जब पिया मेरे घर नहीं आए।।

झूले पड़ गए है बागन में,
कोयल कूके मेरे कानन में।
मुझे अब कौन झुलाए ?
जब पिया घर नहीं आए।।

मनरा गली में आयो है,
चूड़ी सबको पहनायो है।
मै चूड़ी कैसे पहनूं रे ?
जब पिया घर न आयो है।।

सज धज के सखियां आई हैं,
मुझे बुलाने वे सब आईं हैं।
मै जाऊं उनके कैसे साथ ?
जब पिया घर नहीं आयो है।।

रात अंधेरी आईं हैं,
निंदिया मुझे न आई हैं
मै सोऊ किसके साथ ?
जब पिया घर न आए है।।

सावन में पिया से दूरी,
ये कैसी मेरी मजबूरी।
इसको समझ वहीं पायो है
जिसके पिया घर न आयो है।।

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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