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जब अपने सृष्टा कवियों से दुखी हो कविताओं ने की सामूहिक आत्महत्या - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
(आत्माराम यादव पीव) विश्व के तमाम देश के कवि अपना दिमाग लगाकर जितनी कविताए एक साल में लिखते है, उतनी कविताए भारत देश के तथाकथित कविगण एक सप्ताह में लिख लेते है। या कहिए भारत एकमात्र देश है जिसके हर शहर, मोहल्ले, गली ओर हर गाँव में एक से एक धुरंधर कवि…
आत्माराम यादव पीव