डॉ. मयंक चतुर्वेदी
डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम मामले को लेकर न्यायालय ने जैसे ही अपना निर्णय सुनाया, समुचे हरियाणा एवं पंजाब, उससे लगे दिल्ली क्षेत्र में देखते ही देखते हालात कई स्थानों पर सरकार के हाथ से बाहर होते गए, उसे सुव्यवस्थित करने के लिए यह ठीक है कि सरकार अब तक वहां सख्ती दिखा रही है।
किंतु इसके कारण से जो असर हवाई किराए में भारी बढ़ोत्तरी को लेकर हुआ है, उसे कहां तक उचित ठहराया जा सकता है? देखने में आ रहा है कि किसी भी कंपनी की जेट सेवाएं हों, सभी ने एकाएक अपने किराए में बेतहाशा बढ़ोत्तरी कर दी है। हरियाणा और पंजाब से गुजरने वाली सैकड़ों ट्रेनें रद होने से दिल्ली-चंडीगढ़ और दिल्ली-अमृतसर सेक्टर के हवाई किराये में कई गुना बढ़ोतरी क्या सीधे मानवीयता पर कुठाराघात और केंद्र एवं राज्य सरकारों की नाक के नीचे इन कंपनियों की निरलज्जता एवं सीनाजोरी नहीं है?
उत्तर रेलवे अब तक अपनी लगभग 200 ट्रेनों को रद कर चुका है। ऐसे में कई यात्री बहुत जरूरत मंद हैं जिनकी यात्रा करना उनके लिए अति आवश्यक है, किंतु उनकी मजबूरी का लाभ यह धन की लोभी कंपनियां इस समय उठा रही हैं। हद तो यह है कि दिल्ली-चंडीगढ़ सेक्टर का किराया जहां सामान्य दिनों में 1400-2000 रुपये के बीच रहता है। वह इस समय शुक्रवार तक बढ़कर 10 हजार रुपये से लेकर 21 हजार रुपये तक कर दिया गया । इसी प्रकार दिल्ली-अमृतसर सेक्टर में किराए में बढ़ोत्तरी देखी गई । यहां दिल्ली-अमृतसर के बीच में 14,249 रुपये, तथा 21,140 रुपये तक किराये में वृद्धि कर दी गई। जेट एयरवेज, इंडिगो, एयर इंडिया से लेकर कोई ऐसी कंपनी नहीं जो इस वक्त में आम जनता को चूना लगाने से बाज आती ।
वस्तुत: दुख इस बात का है कि इस नाजुक घड़ी और आम जनता के इन परेशानी के पलों में सरकारी कंपनी एयर इंडिया भी अपना लाभ देख रही है। क्या यह अच्छा नहीं होता कि वह आगे आकर लोगों के हित में कार्य करती ? फायदा ही कमाना था तो अपनी उड़ान संख्या में वृद्धि कर सेवा के साथ लाभ प्राप्त करने का प्रयत्न करती ? किंतु उसने यह मार्ग नहीं चुना, दुखद है कि उसने भी दूसरी कंपनियों की तरह ही अपने लिए फायदा सोचा।
इसी प्रकार से देश में कई दफे भूकम्प, पहाड़ धंसने, बाढ़़ आने या अन्य प्राकृतिक आपदाओं के वक्त देखा गया है, जब लालची लोग अपने ही देशवासियों को लूटने में लग जाते हैं और केंद्र और राज्य सरकारें मौन बनकर तमाशा देखती रहती हैं।
वस्तुत: जब तक हरियाणा, पंजाब में हालात सामान्य नहीं हो जाते हैं, तब तक तो कम से कम सरकार इसे गंभीरतापूर्वक देखें कि किसी भी तरह से किसी के साथ धन के लालची और लुटेरे अपनी मंशाएं पूर्ण करने में कामयाब न हो सके। सामान्य दिनों में तो जनता अपना हित देख ही लेती है लेकिन यह वक्त नाजुक है। आगे, केंद्र और राज्य सरकारों से यही उम्मीद की जा सकती है कि वह इस विषय को अवश्य ही गंभीरता से लेंगी और इसके उचित समाधान के लिए अपने अथक प्रयास अवश्य करेंगी।