देश किधर जा रहा है?

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-आरके गुप्ता-
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देश में चारों ओर चुनावी वातावरण है ऐसे में प्रत्येक राजनैतिक दल वोट पाने के लिये जनता से लोकलुभावने वादे कर रहा है। परन्तु एक विशेष सम्प्रदाय (मुस्लिम) के वोट पाने के लिये तो कुछ दल संविधान की भावनाओं का भी उल्लंघन कर रहे हैं। मुस्लिम समाज अपनी एकजुट वोटों का दबाव बनाकर हर पार्टी से केवल अपने समाज के लिये ही अधिक अधिकारों की मांग कर रहे है। किसी भी मुस्लिम नेता व मुस्लिम धार्मिक गुरु ने देश की विभिन्न समस्याओं पर कोई चर्चा नहीं की, उन्होंने मांग की तो बस मुस्लिम समाज के लिये। कुछ राजनैतिक दल आतंकवाद के आरोप में जेलों में बंद मुस्लिम युवकों को छोड़ने की बात करते हैं, तो कोई दल मुस्लिमों को मुफ्त शिक्षा देने की बात करता है।

परन्तु किसी भी दल ने अब तक हिन्दू हितों की कोई बात नहीं की क्यों? क्या चुनावों में हिन्दू की वोटों का कोई महत्व नहीं है? या फिर हिन्दू धर्मान्ध होकर किसी एक पार्टी को अपनी एकजुट वोट नहीं देता इसलिये? जबकि हिन्दू को भ्रष्टाचार से मुक्ति चाहिये, देश में विकास चाहिये, रोजगार चाहिये, महंगाई से छुटकारा चाहिये, देश की सीमाओं पर हो रहे आक्रमण और अतिक्रमण से देश सुरक्षित चाहिये, आतंकवाद से छुटकारा चाहिये, नक्सलवाद व माओवाद से छुटकारा चाहिये, देश का विश्व में सर्वोच्च स्थान चाहिये ताकि वह गर्व से अपना सिर उठाकर कह सके मेरा भारत महान।

हिन्दू नेताओं से जो मांगता है वह सिर्फ देश के लिये मांगता किन्तु वहीं दूसरी ओर मुस्लिम समाज जो मांगता है, वह सिर्फ मुस्लिमों के लिये मांगता है, मानो उसे देश की समस्याओं से कोई सरोकार नहीं। मुस्लिम समाज ने कभी भी सीमाओं की सुरक्षा की कोई मांग नहीं की न ही कभी देश में मौजूद आतंकवादियों को खत्म करने की मांग की, बल्कि उल्टे जो अपराधी व आतंकवादी पकडे जाते है उन्हें मुस्लिम होने के कारण पकड़ा गया ऐसा दुष्प्रचार करके उनका बचाव करते है।

अब समय आ गया है कि देश के हिन्दुओं को जात-पात से ऊपर उठकर एकजुट होकर धर्मनिरपेक्षता के नाम पर कट्टर साम्प्रदायिकता को बढ़ावा देने वाली शक्तियों को जवाब देना होगा तथा अपना कीमती मत उसे ही देना जो वास्तविकता में धर्म आधारित राजनीति से ऊपर उठकर दृढ़संकल्प के साथ देश के विषय में सोचे, जिसमें देश हित में निर्णय लेने की इच्छाशक्ति हो, जो किसी धर्म विशेष के तुष्टिकरण की राजनीति न करते हुए सवधर्म समभाव की नीयत से काम करे। तभी हमारा भारतवर्ष अपने विश्वगुरु के स्थान को पुनः प्राप्त कर सकेगा।

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