बजट में किस क्षेत्र को क्या मिला?

आम बजट में घोषणाओं के निहितार्थ

योगेश कुमार गोयल

            वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा वित्त वर्ष 2020-21 के लिए पेश किए गए आम बजट को लेकर अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों की ओर से मिली-जुली प्रतिक्रियाएं मिली हैं। शेयर बाजार तो इस बजट के बाद धड़ाम से नीचे गिरा। सेंसेक्स 987.96 अंकों की गिरावट के साथ 39735.53 पर और निफ्टी 318 अंक गिरकर 11643.80 पर बंद हुआ। शेयर बाजार का मूड बिगड़ने को लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि बाजार को बजट से काफी उम्मीदें थी और बजट से पहले उम्मीद जताई जा रही थी कि सरकार आर्थिक सुस्ती से बाहर निकलने के लिए खपत को बढ़ावा देने हेतु सुस्ती झेल रहे सेक्टर्स के लिए कुछ खास ऐलान करेगी लेकिन सरकार द्वारा बजट में किसी भी सेक्टर विशेष के लिए कोई खास ऐलान नहीं किए गए, चाहे वह लंबे समय से सुस्ती झेल रहा ऑटो सेक्टर हो या फिर रियल एस्टेट सेक्टर। निवेशकों को उम्मीद थी कि इस बजट में सरकार उनके हित में लांग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स खत्म करेगी या लांग टर्म की परिभाषा बदलेगी लेकिन ऐसे कदम नहीं उठाए जाने के चलते बाजार इस बजट से निराश हुआ है। बजट में सरकार द्वारा डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स (डीडीटी) खत्म करने की घोषणा की गई है। माना जा रहा है कि इससे सरकारी खजाने पर 25 हजार करोड़ रुपये का बोझ बढ़ेगा लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इससे निवेशकों को भी नुकसान होगा क्योंकि डिविडेंड अब करदाताओं की आय में जुड़ जाएगा।

            लोकसभा में अपना दूसरा बजट पेश करते हुए वित्तमंत्री ने कर छूट और कटौती का लाभ छोड़ने वालों को आयकर की दरों में कटौती की घोषणा के बाद कहा कि सरकार का इरादा दीर्घकाल में सभी प्रकार की आयकर छूट को समाप्त करना है। बजट में तेजस जैसी और रेलगाडि़यां देश में ही बनाने तथा चलाने की घोषणा करने के अलावा रेलवे, आयकर स्लैब, शिक्षा, किसानों इत्यादि को लेकर कई बड़ी-बड़ी घोषणाएं की गई हैं। वित्त वर्ष 2020-21 के लिए आर्थिक विकास दर 10 फीसदी रहने का अनुमान लगाते हुए आयकर स्लैब में बड़ा बदलाव किया गया है। बजट पेश करते हुए वित्तमंत्री का कहना था कि सरकार ने अपने विनिवेश कार्यक्रम के तहत देश की सबसे बड़ी बीमा कम्पनी एलआईसी और आईडीबीआई में अपनी कुछ हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया है। बजट घोषणाओं में सरकार ने 2.10 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश का बहुत बड़ा लक्ष्य रखा है। आम बजट में किस क्षेत्र को क्या मिला, क्या महंगा हुआ और क्या सस्ता हुआ, यह जान लेना बेहद जरूरी है। बजट में की गई घोषणाओं के अनुसार अब कृषि-पशु आधारित उत्पाद, रॉ शुगर, स्किम्ड मिल्क, प्यूरीफाइड टेरिफैलिक एसिड (पीटीए), सोया फाइबर, सोया प्रोटीन, अखबार का कागज, कोट्ड पेपर इत्यादि सस्ते हो जाएंगे जबकि सिगरेट, तम्बाकू उत्पाद, फर्नीचर, फुटवियर, स्टील, कॉपर, कुछ खिलौने, कुछ मोबाइल उपकरण इत्यादि महंगे हो जाएंगे।

            वित्तमंत्री के अनुसार सरकार ने कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने, किसानों के कल्याण तथा उनकी आय बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं और इन योजनाओं के लिए 2.83 लाख करोड़ रुपये का फंड आवंटित करने की घोषणा की गई है। कुल फंड में कृषि तथा सिंचाई के लिए 1.2 लाख करोड़ रुपये की राशि शामिल है। इन्हीं फैसलों में प्रधानमंत्री कुसुम स्कीम के जरिये 20 लाख किसानों को सोलर पंप मुहैया करवाने का निर्णय शामिल है। इसके अलावा सौ सूखाग्रस्त जिलों के विकास पर कार्य करने, 15 लाख किसानों को ग्रिड कनेक्टेड पंपसेट से जोड़ने, कृषि बाजारों को उदार बनाने तथा कृषि मंडियों में कामकाज में सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने जैसे फैसले भी लिए हैं। सरकार ने नॉन बैंकिंग फाइनेंस कम्पनियों को प्रोत्साहित कर 15 लाख करोड़ रुपये का कर्ज किसानों को देने तथा मिल्क प्रोसेंसिंग क्षमता 108 मिलियन टन करने का लक्ष्य रखा है, साथ ही वह वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य पर भी कायम है। राष्ट्रीय शीत आपूर्ति श्रृंखला के निर्माण के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी मॉडल) के तहत सरकार ने फल-सब्जी जैसे जल्दी खराब होने वाले कृषि उत्पादों की ढुलाई के लिए किसान रेल चलाने का प्रस्ताव किया है, जिसके तहत ऐसे उत्पादों को रेफ्रिजरेटेड डिब्बों में ले जाने की सुविधा होगी। इसके अलावा सरकार का कुछ मेल एक्सप्रेस और मालगाडि़यों के जरिये जल्दी खराब होने वाले सामान (फल, सब्जियों, डेयरी उत्पाद, मछली, मांस इत्यादि) की ढुलाई के लिए रेफ्रिजरेटेड पार्सल वैन का भी प्रस्ताव है। बंजर जमीन पर सोलर पावर जेनरेशन यूनिट लगाकर उत्पादित बिजली को ग्रिड को बेचने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। बजट में समुद्री इलाकों में 3077 सागर मित्र बनाने के अलावा वहां के किसानों के लिए मछली उत्पादन का लक्ष्य 208 मिलियन टन रखा गया है।

            2019 में पुनः सत्तासीन होने के बाद सरकार ने जुलाई माह में पेश किए गए बजट में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के लिए 4700 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा था लेकिन इस बार इसमें 329 करोड़ की बढ़ोतरी करते हुए इसे 5029 करोड़ कर अल्पसंख्यक समुदाय को खुश करने का प्रयास किया है। बजट में अगले वित्त वर्ष के लिए पोषण संबंधी कार्यक्रम के लिए 35600 करोड़ तथा वरिष्ठ नागरिकों एवं दिव्यांगों के लिए 9500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। संस्कृति मंत्रालय के तहत भारतीय धरोहर और संरक्षण संस्थान की स्थापना हेतु इस मंत्रालय के लिए 3150 करोड़ रुपये तथा पर्यटन के लिए पर्यटन मंत्रालय को 2500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। बजट में जम्मू-कश्मीर के लिए 30757 करोड़ रुपये तथा लद्दाख को 5958 करोड़ रुपये आवंटित करने और जी-20 शिखर सम्मेलन के आयोजन के लिए 100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए बजट में 85 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। शीघ्र ही नई शिक्षा नीति की घोषणा करने की बात कहते हुए वित्तमंत्री ने शिक्षा क्षेत्र के लिए 99300 करोड़ रुपये और कौशल विकास के लिए 3000 करोड़ रुपये आवंटित करने का प्रस्ताव रखा है। उन्होंने वंचित तबके से संबंध रखने वाले ऐसे छात्रों के लिए, उच्च शिक्षा जिनकी पहुंच से बाहर है, देश के शीर्ष सौ शैक्षणिक संस्थानों में डिग्री स्तर का एक ऑनलाइन शिक्षण कार्यक्रम आरंभ करने की बात भी कही है। पुलिस विज्ञान, फोरेंसिक विज्ञान तथा साइबर फोरेंसिक के क्षेत्र में एक राष्ट्रीय पुलिस विश्वविद्यालय और एक राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय का प्रस्ताव भी रखा गया है। इसके अलावा भारत में अध्ययन कार्यक्रम के तहत एशियाई व अफ्रीकी देशों में एक आईएनडी-एसएटी परीक्षा का प्रस्ताव रखा गया है ताकि भारतीय उच्च शैक्षणिक केन्द्रों में पढ़ने के लिए छात्रवृत्ति पाने वाले विदेशी उम्मीदवारों के लिए मानक तय किया जा सके।

            वित्तमंत्री के अनुसार भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और केन्द्र सरकार का कर्ज घटकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 48.7 प्रतिशत पर आ गया है, जो मार्च 2014 में 52.2 प्रतिशत था। वित्तमंत्री के अनुसार देश में बुनियादी ढ़ांचे के विकास और रोजगार सृजन के लिए 31 दिसम्बर 2019 को शुरू हुई नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (एनआईपी) के तहत 103 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाएं शुरू की गई हैं और परिवहन अवसंरचना परियोजनाओं के लिए 1.7 लाख करोड़ रुपये मुहैया कराए गए हैं। इन नई परियोजनाओं में आवसीय, साफ पेयजल, स्वच्छ ऊर्जा, स्वास्थ्य, आधुनिक रेलवे, एयरपोर्ट, मैट्रो बस, लॉजिस्टिक्स शामिल हैं। बजट में बिजली तथा नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के लिए 22 हजार करोड़ रुपये आवंटित करने का प्रस्ताव करते हुए देशभर में आगामी तीन वर्षों में बिजली के स्मार्ट प्रीपेड मीटर की व्यवस्था करने तथा ग्राहकों को कभी भी बिजली वितरण कम्पनी बदलने की आजादी देने का प्रस्ताव किया गया है। इसके अलावा प्राकृतिक गैस पाइपलाइन ग्रिड को 16 हजार किलोमीटर से बढ़ाकर 27 हजार किलोमीटर करने की भी घोषणा की गई है।

            आम बजट में आयकर के नए स्लैब की घोषणा करते हुए पांच लाख रुपये तक की आय को करमुक्त कर दिया गया है और नए टैक्स स्लैब की व्यवस्था को वैकल्पिक रखा गया है अर्थात् कोई व्यक्ति चाहे तो छूट और कटौती के साथ पुरानी कर व्यवस्था में रह सकता है या फिर बिना छूट वाले नए कर ढ़ांचे को अपना सकता है। पुरानी कर व्यवस्था के तहत ढ़ाई लाख रुपये तक की आय करमुक्त रहेगी और ढ़ाई से पांच लाख तक की आय पर पांच प्रतिशत की दर से कर लगेगा। हालांकि सरकार द्वारा कहा गया है कि उसने नए स्लैब की मदद से कर व्यवस्था को सरल और आसान बनाने की कोशिश की है लेकिन अधिकांश कर विशेषज्ञ इसे भ्रमित करने वाला फैसला करार दे रहे हैं। दरअसल पुरानी आयकर व्यवस्था में करदाताओं को कर का भुगतान करते हुए कई प्रकार की छूट और रियायतें मिलती थी लेकिन नए कर स्लैब के अनुसार करदाता द्वारा इस व्यवस्था का लाभ लेने की स्थिति में उसे सौ में से करीब सत्तर रियायतों और छूट को छोड़ना होगा। नई व्यवस्था के अनुसार पांच लाख तक की आय वाले करदाताओं को किसी तरह के कर का भुगतान नहीं करना होगा जबकि 5 से 7.5 लाख रुपये की वार्षिक आय पर 10 फीसदी, 7.5 लाख से 10 लाख तक की आय पर 15 फीसदी, 10 से 12.5 लाख की आय पर 20 फीसदी, 12.5 से 15 लाख की आय पर 25 फीसदी जबकि 15 लाख रुपये से ज्यादा आय पर 30 फीसदी कर का भुगतान करना होगा।

            कर विशेषज्ञों के मुताबिक पुरानी और नई कर व्यवस्था के बीच में चुनाव के विकल्प के कारण जटिलताएं उत्पन्न होंगी। दरअसल नई व्यवस्था और पुरानी व्यवस्था में से कौनसा विकल्प किसी करदाता के लिए फायदे का सौदा होगा, यह उसकी आय और किए गए निवेश पर निर्भर करेगा लेेकिन दुविधा यह है कि करदाता स्वयं इसकी गणना नहीं कर सकता, नई व्यवस्था में रियायतों और छूट को छोड़ने से होने वाले फायदे या नुकसान को समझने के लिए उसे कर विशेषज्ञों की मदद लेनी ही होगी क्योंकि कोई भी व्यक्ति पुरानी व्यवस्था में मिलने वाली रियायतों और छूट का लाभ भी नहीं छोड़ना चाहेगा। नई कर व्यवस्था का लाभ लेने के लिए करदाता को जिन रियायतों या छूट को छोड़ना पड़ेगा, उनमें एलटीए, एचआरए, 50 हजार रुपये का तक स्टैंडर्ड डिडक्शन, फैमिली पेंशन के मद में 15 हजार रुपये की छूट तथा 80सी के तहत किया गया निवेश शामिल है, जिसमें पीएफ योगदान, एलआईसी प्रीमियम, स्कूल ट्यूशन फीस, ईएलएसएस, एनपीएस तथा पीपीएफ में किया गया निवेश शामिल होता है।

            बहरहाल, ‘सबका साथ सबका विकास’ से आगे बढ़कर जिस प्रकार इस बजट को ‘विवाद से विश्वास की ओर’ बताते हुए इसमें जीवन यापन को आसान करने तथा व्यापार करने को आसान बनाने के दावे के साथ लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं, उससे यह आम बजट निवेश, रोजगार और आय में वृद्धि की कुछ उम्मीदें जगाता बजट तो प्रतीत होता है लेकिन बजट के जरिये बड़ी-बड़ी घोषाणाएं करते हुए जो सपने दिखाए गए हैं, वे कितने पूरे होंगे, यह पूरी तरह इस पर निर्भर करेगा कि उन्हें पूरा करने के लिए किस हद तक ईमानदार प्रयास किए जाएंगे। देश की माली हालत और देश की अर्थव्यवस्था की दशा व दिशा को बारीकी से समझने वाले शेयर बाजार ने करीब हजार अंकों तक डूबते हुए बजट पर जो सीधी और सरल नकारात्मक टिप्पणी की है, उसे भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

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