बिहार की शैक्षणिक व्यवस्था की बदहाली के लिए जिम्मेदार कौन ?

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बिहार बोर्ड के १२ वीं के नतीजे सूबे की शिक्षा – व्यवस्था पर सहज ही सवाल खड़े करते हैं ….. लगभग डेढ़ दशक के बहुप्रचारित सुशासनी शासन में शिक्षा के क्षेत्र में बदहाली के कारणों की विवेचना ईमानदारी व् दृढ-इच्छाशक्ति से करनी होगी … महज शिक्षा सचिव के तबादले से परिस्थतियाँ सुधरने वाली नहीं हैं …. जग- हँसाई के पश्चात् अधिकारियों का तबादला जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने के सिवा कुछ और नहीं है ….. शैक्षणिक व्यवस्था की बदहाली के लिए कौन जिम्मेदार है अधिकारी , शिक्षक या सूबे की सरकार ? …. मेरे विचार में तीनों लेकिन सबसे ज्यादा सूबे के मुखिया और उनकी सरकार …. आप पूछेंगे कैसे ? मेरे निम्नलिखित सवालों में ही जबाव निहित है :

अयोग्य शिक्षकों की नियुक्ति कौन करता है ?

संसाधनों के अभाव में सरकारी स्कूलों से निजी स्कूलों की तरफ मेधा के पलायन के लिए कौन जिम्मेवार है ?

शिक्षा से सम्बंधित अधिकारियों , शिक्षकों व् स्कूलों के प्रधानाध्यापकों की जिम्मेवारी नहीं तय करने का दोषी कौन है ?

शिक्षण कार्य को छोड़कर अन्य सरकारी कार्यों में शिक्षकों को कौन लगाता है ?

स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता की पीरिऑडिक – मॉनिटरिंग नहीं किए जाने का दोषी कौन है ?

कुकरमुत्ते की तरह रोज उग रहे कोचिंग संस्थानों – निजी विद्यालयों पर लगाम कसने का काम किसका है ?

शिक्षा के क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार का संक्रमण किसकी अनदेखी या शह पर पल – बढ़ रहा है ?

शैक्षणिक – करिकूलम के साथ नित्य नए अव्यवहारिक प्रयोग कौन कर रहा है ?

कॉमन शिक्षा – नीति व् व्यावहारिक करिकूलम बनाने की जिम्मेवारी किसकी है ?

समुचित मॉनिटरिंग के माध्यम से अयोग्य शिक्षकों की सामूहिक छंटनी एवं योग्य व् पात्रता वाले शिक्षकों की नियुक्ति से सरकार को परहेज क्यूँ है ?

शिक्षा – व्यवस्था में सकारात्मक सुधारों के लिए शिक्षा के प्रति गंभीरता व् ईमानदारी से समर्पित शिक्षाविदों की अगुवाई में राज्य -स्तरीय नोडल इकाई के गठन के सुझाव पर राज्य सरकार उदासीन क्यूँ है ?

शैक्षणिक सत्रों में मीनिमम – क्लासेज के नियम को कड़ाई से लागू नहीं किए जाने के लिए दोषी कौन है ?

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से कौन – कौन से कार्यक्रम चलाए गए हैं ?

सूबे से मेधा का पलायन बदस्तूर जारी है सरकार का ध्यान इस ओर क्यूँ नहीं जाता है या सरकार जान-बूझ कर इस गंभीर मुद्दे पर अपनी आँखें मूंदे हुए है ??

छात्रवृति की राशि का आवंटन नौकरशाही व् भ्रष्टाचार की भेंट क्यूँ और कैसे चढ़ जाता है ?

शैक्षणिक संस्थानों व् शिक्षा सी जुडी अन्य व्यवस्थाओं – संस्थाओं का राजनीतिकरण न हो इसके लिए कैसे और कौन – कौन से प्रयास सरकार की ओर से किए गए हैं ?

शराबबन्दी , दहेज़ – प्रथा जैसी कुरीतियों की ओर सूबे के मुखिया का फोकस है … अच्छी बात है … लेकिन यक्ष-प्रश्न ये है कि ऐसा ही फोकस शिक्षा की ओर क्यूँ नहीं … क्या बिना शिक्षा का स्तर सुधारे सामाजिक कुरीतियों का उन्मूलन संभव है ??
आलोक कुमार ,

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