जो देशद्रोह की बात करते हो

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जो देशद्रोह की बात करते हो
उन्हें रहने का अधिकार नहीं |
जो मांगे दुश्मनो से सहायता,
वे व्यक्ति हमे स्वीकार नहीं ||

जो कबर में पैर लटकाये बैठे है ,
जन्नत की तमन्ना लगाये बैठे है |
जन्नत है खुद कश्मीर भारत का ,
चायना पर आस लगाये बैठे है ||

जो देश की संसद का कानून न माने ,
उसे संसद में जाने का अधिकार नहीं |
जो सविंधान की कसमै खा कर भी ,
उसका सम्मान करने को तैयार नहीं ,||
ऐसे सांसदों को संसद से बाहर करो ,
और देश भी उनको अब बाहर करो ||

जो खाते है इस देश का अन्न
लगाते है दूसरे देश से मन |
अपने जाने का वे प्रबंध करे ,
और यहां से वे प्रस्थान करे ||

जो आंतकियो को शह देते हो ,
उनका यहाँ कोई काम नहीं |
जो खाते है मुफ्त का राशन ,
मुफ्तखोरों का यहाँ काम नहीं ||

अगर दम हो तुम में इतना ,
चीन और पाक जाकर दिखाओ
अपने प्रेमी देश में जाकर वहां
भारत जिन्दबाद के नारे जरा
तुम लगाकर वहाँ दिखाओ ||

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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