पूरा हिमालय मेरा घर

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आशुतोष माधव

 

इसका कोई टुकड़ा
बिकाऊ नहीं

संतानवल्लभा धरती का
स्तन है यह
पूरे का पूरा हिमालय

जहाँ है जैसा है
भरा है पूरा है
इसका सब कुछ
सब कुछ का है

मिलाना होता है
अपना पूरापन
इसके पूरेपन में
पूरे प्रन के साथ

बाहें फैलाए
मिलता है नगाधिराज
अपने
पूरे मन से

अब हिमालय आपका है
शतद्रु की दूधधारा और
लाल दहकते बुरांश
सब, आपके हैं

आप अब आप नहीं
हीर हैं
दुनिया भर में
इकलौते अमीर हैं

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