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उत्तर आधुनिक आंदोलन क्‍यों असरहीन हो जाते हैं - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
-जगदीश्‍वर चतुर्वेदी यह आयरनी है कि जिस आंदोलन के लिए लोग पागलपन की हद तक दीवाने थे, गलियों-मुहल्लों में वैचारिक मुठभेड़ें हो रही थीं और चारों ओर लग रहा था कि यह आंदोलन मूलगामी परिवर्तनों का वाहक बनेगा। एक अवधि के बाद पाते हैं कि वही आंदोलन और उससे जुड़ा…