प्राइम एंट्रो:
किन्नर भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों में एका कौतूहल का विषय हैं। इनके नाजो-नखरे देख अक्सर लोग हंस पड़ते हैं, तो की बेचारे घबरा जाते हैं कि कहीं सरे बाजार ये उनकी मिट्टी पलीद ना कर दें। मगर किन्नर बनते कैसे हैं? इनका जन्म कैसे होता है? अगर आप इनकी जिंदगी की असलियत जान ले तो शायद न किसी को हंसी आए और न ही उनसे घबराहट हो। यह अगर बुधवार के दिन किसी जाति के (स्त्री-पुरुष, cबच्चों) को आशीर्वाद दे दें तो उसकी किस्मत खुल जाती है।
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संचित, प्रारब्ध और वर्तमान मनुष्य के जीवन का कालचक्र है। संचित कर्मों का नाश प्रायश्चित और औषधि आदि से होता है। आगामी कर्मों का निवारण तपस्या से होता है किन्तु प्रारब्ध कर्मों का फल वर्तमान में भोगने के सिवा अन्य कोई उपाय नहीं है। इसी से प्रारब्ध के फल भोगने के लिए जीव को गर्भ में प्रवेश करना पड़ता है तथा कर्मों के अनुसार स्त्री-पुरुष या नपुंसक योनि में जन्म लेना पड़ता है।
प्रारब्ध का खेल
प्राचीन ज्योतिष ग्रंथ जातक तत्व के अनुसार हिजड़ा के बारे में कहा गया है-
मन्दाच्छौ खेरन्ध्रे वा शुभ दृष्टिराहित्ये षण्ढ़:।
षण्ठान्त्ये जलक्षेर मन्दे शुभदृग्द्यीने षण्ढ़:।।
चंद्राकौ वा मन्दज्ञौ वा भौमाकौ।
युग्मौजर्क्षगावन्योन्यंपश्चयतः षण्ढ़:।।
ओजक्षारंगे समर्क्षग भौमेक्षित षण्ढ़:।
पुम्भागे सितन्द्धड्गानि षण्ढ़:।।
मन्दाच्छौ खेषण्ढ:।
अंशेज़ेतौमन्द ज्ञदृष्टे षण्ढ़:।।
मन्दाच्छौ शुभ दृग्धीनौ रंन्घ्रगो षण्ढ़:।
चंद्रज्ञो युग्मौजर्क्षगौ भौमेक्षितौ षण्ढ़:।।
अर्थात पुरुष और स्त्री की संतानोत्पादन शक्ति के अभाव को नपुंसक्ता अथवा नामदीर कहते हैं। चंद्रमा, मंगल, सूर्य और लग्न से गर्भाधान का विचार किया जाता है। वीर्य की अधिकता से पुरुष (पुत्र) होता है। रक्त की अधिकता से स्त्री (कन्या) होती है। शुक्र शोणित (रक्त और रज) का साम्य (बराबर) होने से नपुंसका का जन्म होता है।
ग्रहों की कुदृष्टि
1. शनि व शुक्र अष्टम या दशम भाव में शुभ दृष्टि से रहित हों तो किन्नर (नपुंसक) का जन्म होता है।
2. छठे, बारहवें भाव में जलराशिगत शनि को शुभ ग्रह न देखते हों तो हिजड़ा होता है।
3. चंद्रमा व सूर्य शनि, बुध मंगल कोई एका ग्रह युग्म विषम व सम राशि में बैठकर एका दूसरे को देखते हैं तो नपुंसका जन्म होता है।
4. विषम राशि के लग्न को समराशिगत मंगल देखता हो तो वह न पुरुष होता है और न ही कन्या का जन्म।
5. शुक्र, चंद्रमा व लग्न ये तीनों पुरुष राशि नवांश में हों तो नपुंसका जन्म लेता है।
6. शनि व शुक्र दशम स्थान में होने पर किन्नर होता है।
7. शुक्र से षष्ठ या अष्टम स्थान में शनि होने पर नपुंसका जन्म लेता है।
8. कारज़ंश कुडली में ज़ेतु पर शनि व बुध की दृष्टि होने पर किन्नर होता है।
9. शनि व शुक्र पर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि न हो अथवा वे ग्रह अष्टम स्थान में हों तथा शुभ दृष्टि से रहित हों तो नपुंसका जन्म लेता है।
कमजोर बुध होता बलवान
अगर कोई भी बालक, युवक, स्त्री-पुरुष की कुडली में बुध ग्रह नीच हो और उसे बलवान करना हो तो बुधवार के दिन किन्नर से आशीर्वाद प्राप्त करने से लाभ मिलता है। बुध ग्रह कमजोर होने पर किन्नरों को हरे रंग की चूड़ियां व वस्त्र दान करने से भी लाभ होता है। कुछ ग्रंथों में ऐसा भी माना जाता है कि किन्नरों से बुधवार के दिन आशीर्वाद लेना जरूरी है। जिससे अनेका प्रकार के लाभ होते हैं।
किन्नरों की जिन्दगी
आम इंसानों की तरह इनके पास भी दिल होता है, दिमाग होता है, इन्हें भी भूख सताती है, आशियाने की जरूरत इन्हें भी होती है। किन्नरों की इस जिन्दगी को नजदीका से जानने का मौका मिलता है बंगलौर में जहां हर साल पूरे दक्षिण भारत के किन्नर अपने सालाना उत्सव मनाने के लिए जमा होते हैं। बंगलौर में दो हजार किन्नर रहते हैं जबिका भारत में इनकी संख्या पांच से दस लाख के बीच मानी जाती है। किन्नर उस समाज तका यह संदेश पहुँचाना चाहते हैं जो उन्हें अपने से अलग समझता है। इसके जरिए ये किन्नर अपनी समस्याओं की तरफ लोगों का ध्यान खींचना चाहते हैं। किन्नरों के अधिकार के लिए काम करने वाली संस्था विविधा भी किन्नरों के उत्थान के लिए कार्य कर रही है। सभी किन्नर इस उत्सव को एका मंच का रूप देना चाहते हैं जहां समलैंगिका भी अपनी आवाज उठा सज़्ते हों।
पांच लाख किन्नर
भारत में किन्नरों की संख्या पांच लाख है। विल्लुपुरम (तमिलनाडु) से गाड़ी से कोई घंटे भर की दूरी तय करने पर गन्ने के खेतों से भरा छोटा सा एका गांव है कूवगम जिसे किन्नरों का घर ज़्हा जाता है। इसी कूवगम में महाभारत काल के योद्घा अरावान का मंदिर है।
मान्यता : हिन्दू मान्यता के अनुसार पांडवों को युद्घ जीतने के लिए अरावान की बलि देनी पड़ी थी। अरावान ने आखिरी इच्छा जताई कि वो शादी करना चाहता है ताकि मृत्यु की अंतिम रात को वह पत्नी सुख का अनुभव कर सके। कथा के अनुसार अरावान की इच्छा पूरी करने के लिए भगवान कृष्ण ने स्वयं स्त्री का रूप लिया और अगले दिन ही अरावान पति बन गए। इसी मान्यता के तहत कूवगम में हजारों किन्नर हर साल दुल्हन बनकर अपनी शादी रचाते हैं और इस शादी के लिए कूवगम के इस मंदिर के पास जमकर नाच गाना होता है जिसे देखने के लिए लोग जुटते हैं। फिर मंदिर के भीतर पूरी औपचारिकता के साथ अरावान के साथ किन्नरों की शादी होती है। शादी किन्नरों के लिए बड़ी चीज होती है इसलिए मंदिर से बाहर आकर अपनी इस दुल्हन की तस्वीर को वह कैमरों में भी कैद करवाते हैं।
बदलाव : किन्नरों की दुनिया से लोग आगे निकल रहे हैं और कुछ राज्यों में तो उन्होंने सिक्रय राजनीति में कामयाबी भी पाई है। शबनम मौसी मध्य प्रदेश में विधायका चुनी गईं थीं।
सभी धर्मों को आदर
किन्नर सभी समाज को लोगों को आदर देते हैं। किसी के बच्चा हुआ या शादी-विवाह सभी को आशीर्वाद एवं बधाई देने जाते हैं। अनेका त्योहारों पर भी यह बाजार से चंदा एक्त्रित करते हैं।
बहुत अच्छी जानकारी दी
आपने बहुत अच्छा लिखा ह भगवान् ऐसी इन्सानिअत सब में लाये
क्यों बनते हैं किन्नर लेख पढ़कर बहुत अच्छा लगा। ऐसे लेखों से जहां पाठकों का और समाज का ज्ञान बढ़ता है। वहीं समाज में फैली इनके प्रति नफरत भी दूर होती है। प्रव्कात डॉट प्रवक्ता काम को ऐसे ही प्रवक्ताक लेख प्रकाशित करना चाहिए। संपादक मंडल को बधाई।
– अरुण पटेल, भोपाल
किन्नर के प्रति जो सोच हमारी है वो आज भी गलत है ।
LEKHA SARAHANIYA HAI ……ASHOK BAJAJ
soni ji apne kinnaro per likhkar ek ese tabke ke bare mai janta ko bataya hai jiske bare mai kam likha gaya hai aap ese hi aneko lekh likh logo ko jagruk baraye badai ho
bhut acha laga pd kr, main chahti hu ki hamari govt. kinneron ko govt, jobs de aur unko har tarah ki suhuliyat prdan kare.
bahut achchha lekh he.
यह लेख पढ़ा। किन्नरों के जीवन में कैसी वेदना होती है एक संक्षेप में जानकारी पाकर मन दुखी हो गया
it is a very good nolegeble
thanks