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जिन घड़ियों में हंस सकते हैं, उनमें रोये क्यों? - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
ललित गर्ग जिन्दगी का एक लक्ष्य है- उद्देश्य के साथ जीना। सामाजिक स्वास्थ्य एवं आदर्श समाज व्यवस्था के लिए बहुत जरूरी होता है कत्र्तव्य-बोध और दायित्व-बोध। कत्र्तव्य और दायित्व की चेतना का जागरण जब होता है तभी व्यक्तिगत जीवन की आस्थाओं पर बेईमानी की परतें नहीं चढ़ पाती। सामाजिक, पारिवारिक…