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तुम क्यों नहीं बनते विषपायी - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
---विनय कुमार विनायकतुम क्यों नहीं बनते विषपायी?सबके हिस्से का अमृत पी लेतेऔर दूसरों को गरल पिलाते हो,किन्तु बनते नहीं हो विषपायी! सृष्टि के सारे अवदान को तुम,निज गेह में छुपा लिया करते,बन जाते भोला-भाला तमाशाई,किन्तु बनते नहीं हो विषपायी! जब भी तुमको अवसर मिला,सबकुछ झपट लिया करते हो,दीन हीन की…