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प्रकृति क्यों बदला लेती है ? - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
घनघोर घटायें घिर रही,घन भी घडघडाहट कर रहे |दामिनी दम दम दमक रही,ये दिन को रात कर रहे || ओलावृष्टि भी हो रही,धरती भी सफेद चादर ओढ़ रही |चारो और हाहाकार मचा,कैसी भू पर अनावृष्टि हो रही || चारो तरफ जीवन अस्त-वयस्त है,बिजली भी चली गयी |चारो तरफ अँधेरा छा…