मृत्युंजय दीक्षित
संसद के दोंनोे सदनों में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बहस के दौरान जिस प्रकार की बहसें व बयानबाजी देखनेको मिली उससे साफ पता चल रह है कि भारतीय राजनीति व राजनेताओं का कितना चारित्रिक व बौद्धिक पतन हो चुका है। वर्तमान समय में भारतीय राजनीति बौद्धिक दिवालियेपन के दौर से गुजर रही है। जब राज्यसभा में पीएम मोदी ने अपना भषण पढ़ना शुरू किया और पूर्ववती्र कांग्रेस सरकार के शासनकाल में हुए घोटालों के घटनाक्रमों का उल्लेख करते हुए पीएम मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की चुप्पी पर निशाना साधते हुए कहा कि बाथरूम मेें रेनकोट पहनकर नहाना तो मनमोहन जी से सीखें कि सबकुछ होता रहा लेकिन उन पर घोटालांे का एक भी दाग नहीं लगा। बस फिर क्या था कांग्रेसियों को मिर्ची लगना तो स्वाभाविक ही था। संसद से सडक तक तथा सोशल मीडिया में भी गर्मागर्म बयानबाजी शुरू हो गयी। विपक्ष ने तय किया है कि जब तक पीएम मोदी माफी नहीं मांगते तब तक उन्हें सदन में बोलने नहीं दिया जायेगा। पीएम मोदी ने अपना बयान तब दिया जब बहस के दौरान पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने नोटबंदी को संगठित लूट करार दिया। कांग्रेस पीएम मोदी से इतनी नाराज हो गयी है कि लोकसभा में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री से जाकर पूछा कि आपने ऐसा बयान क्यांे दिया तब पीएम मोदी ने कहा कि आप लोग तो सारा दिन ऐसे बयान देते रहते हो।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के खिलाु बयानों को लेकर तिलमिलाये कांग्रेसी अपना पूर्व इतिहास भूल गये हैं। व्यक्ति विशेष को निशाना बनाकर तल्खी बयानबाजी तो कांग्रेसी ही कर रहे हैं। पूर्व प्रधनमंत्री मनमोहन सिंह का अपमान तो स्वयं कांग्रेसी युवराज राहुल गांधी ही कर चुके हैं जिन्होनें उनकी सरकार का अध्यादेश मीडिया के सामने फाडकर फेंक दिया था और अपनी नाराजगी को जगजाहिर कर दिया था। उनकी इसी करतूत के कारण लालू यादव को जेल की हवा खानी पड़ी थी और फिर भाजपा को रोकने की नियत से इन्हीं राहुल बाबा ने बिहार में लालू के साथ महागठबंधन कर लिया।
यदि पूर्व इतिहास पर गौर किया जाये तो साफ पता चल रहा है कि कांग्रेसियों के मन में केवल गांधी परिवार से जुड़े हुए प्रधनमंत्रियों का ही सम्मान किया है। जबकि कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री से लेकर स्व. पी वी नरसिंहा राव , इंद्र कुमार गुजराल , देवगौड़ा ,स्व. चद्रशेखर , मोरार जी देसाई , चैधरी चरण सिंह का भी कांग्रेस ने ही अपमान किया और सभी के खिलाफ राजनैतिक साजिशें रचकर उनको सत्ता से हटाने का षड़यंत्र रचा। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को पहले कांग्रेस ने बिना शर्त समर्थन दिया और फिर तत्कालीन कांग्रेस ने स्व. राजीव गांधी की जासूसी करवाने का आरोप लगाकर उनकी सरकार गिराने का काम इन्हीं कांग्रेसियों ने ही किया था। यह कांग्रेसी केवल और केवल गांधी परिवार के ही चमचे या फिर मानसिक व बौद्धिक रूप से गुलाम बनकर रह गये हैं ।
आज पूरा विपक्ष प्रधनमंत्री मोदी के केवल एक बयान पर हंगामा मचा रहा है कि आज संभवतः पीएम मोदी देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री होंगे जिनके खिलाफ देश के विरोधी दलों के नेता जीभरकर गालियां दिया करते हैं और अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल लगातार कर रहे हैं तथा करते जा रहे हैं। यह वल्र्ड रिकार्ड बनता जा रहा है। अभी तक पीएम मोदी ने इतना सटीक बयान नहीं दिया था लेकिन अब उनके बयान से सभी दलों को मिर्र्ची लग गयी है जो येनकेन प्रकारेण मोदी सरकार को गिराने, हिलाने, दबाने की शातिर चाले रच रहे हैं।
पीएम मोदी के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का प्रयोग सर्वप्रथम गुजरात दंगों के बाद हुए चुनावो में श्रीमती सोनिया गांधी ने मुस्लिम तुष्टीकरण की खातिर उन्हें मौत का सौदागर कहा था। उसके बाद कांग्रेस गुजरात में अभी तक खड़ी नहीं हो पायी है। उसके बाद पीएम मोदी के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का एक लम्बा सिलसिला चल पड़ा है। अभी सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पीएम मोदी व सरकार से सबूत मांगे गये तथा राहुल गांधी ने यहां तक कह डाला कि पीएम मोदी जवानों के खून की दलाली करते हैे। जिसकी मीडिया व सोशल मीडिया में खूब आलोचना हुयी थी। यहीं नही अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसौदिया, ममता बनर्जी , सभी कांग्रेसी सांसद व विधायक , औवेसी, लालू प्रसाद यादव, उप्र में सभी विरोधी दलांेे ने अपनी सारी हदें पारकर दी हैं। अरविंद केजरीवाल पीएम मोदी को मानसिक रूप से विकृत बताते हैं। लालू यादव पीएम मोदी को ब्रहमपिशाच कहते हैं , सपा के दोस्त आजम खां कहते हैं कि सबसे बड़ा रावण तो दिल्ली में बैठा है। बसपानेत्री मायावती तो पीएम मोदी को सारा दिन उन्हें झूठा कहकर दुत्कारती रहती हैं। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तो उन्हें नोटबंदी के बाद से गालियां देने की झड़ी लगा दी है। ममता उन्हें सरेआम भरी प्रेसवार्ता में गुंडा व डाकू कहकर संवाबेधित कर रही हैं। पीएम मोदी को ममता ने गब्बर सिंह तक कह डाला है। बसपा के एक नेता नसीमुददीन सिददीकि कहते हैं कि पीएम मोदी किन्नरों की तरह तालियां बजाते हैं। और तो और जो शिवसेना भाजपा व संघ की रोटियों पर पली बढ़ी वह भी अब मोदी को निशाना बना रही हैं और भाजपा व मोदी को चिढ़ाने के लिए गुजरात मंे हार्दिक पटेल को अपना मुख्यमंत्री पद का दवेदार तक बना दिया है। अब समय आ गया है भाजपा ऐसे विश्वासघाती दोस्त को उतारकर फेंक दे उन्हें अपनी जमीन व हैसियत पता चल जायेगी।
आज जो लोग पीएम मोदी से मनमोहन सिंह के अपमान के लिए माफी मांगने की बात कर रहे हैं उन्हें स्वयं अपने गिरेबान में झांककर देखना चाहिये कि वे कितने पानी में हैे। पीएम मोदी व भाजपा के विरोधी लगातार असंसदीय भाषा का विरोध कर रहे हंै। नई दिल्ली में जब अरविंद केजरीवाल दिल्ली विधानसभा का सत्र बुलाते हैं तब वहां की विधानसभा के अंदर भी पीए मोदी व कंेद्र सरकार को गालियां ही दी जाती हैं। क्या यही स्वच्छ व स्वस्थ्य लोकतांंित्रक परम्परायें रह गयी हैं। यह लोग सारा दिन गालियां तो देना चाहते हैं लेकिन इन लोगों में सच्चाई सुनने का माददा तक नहीं रह गया है। पीएम मोदी व भाजपा के विरोधी आज पूरी तरह से हताशा के दौर से गुजर रहे हैं।
नोटबंदी के बाद से अब तक यह सभी दल लगातार पीएम मोदी को डिगाने की साजिशें रच रहे हैें। संसद का पिछला सत्र पूरी तरह से बर्बाद कर दिया गया और पीएम मोदी के खिलाफ अपशब्दों की बौछार होती रही। लेकिन यह पीएम मोदी का 56 इंच का सीना ही है कि वह लगातार आगे बढ़ते जा रहे हैं। रेनकोट वाले बयान पर पीएम मोदी को माफी मांगने की कोई आवश्यकता नहीं है सबसे पहले विपक्ष को सामूहिक रूप से लिखित व मीडिया के सामने आकर पीएम मोदी से माफी मांगनी चाहिये। संपूर्ण विपक्ष को अपने नकरानापन व देश की 70 साल में जो गत बना दी है उसके लिए माफी मांगनी चाहिये तथा पर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को आगे आकर अपनी सरकार की गलतियों को स्वीकार करना चाहिये जनता को सब सच बताकर अपना जीवन धन्य कर लेना चाहिये। यदि पूर्व पीएम मनमोहन सिंह अब भी घोआलों पर से पर्दा नहीं उठाते तो जनता में यही संदेश चला जायेगा कि वह भी केवल गांधी परिवार की ही नौकरी करते रहे ।उनका नाम एक ऐसे प्रधानमंत्री व अर्थशास्त्री के रूप में याद किया जायेगा जो केवल घोटालेबाजों को बचाते फिरते रहे। फिर यह साफ हो जायगा कि बाथरूम में रेनकोट पहनकर नहाने की कला तो वास्तव में मनमोहन सिंह जानते ही थे यही कारण है कि उन पर कोई दाग नहीं लगा।
मृत्युंजय दीक्षित