आनन्द शंकर पण्डया
01. भारत को यदि पड़ोसी शत्रुओं के हाथ में जाने से बचाना है, इस्लामी जेहादी आतंकवादियों से देश की रक्षा करनी है, इस गृहयुद्ध से देश बचाना है, यदि भारत को अखण्ड और एकात्म रखना है तो इसके लिए अत्यावश्यक है – हिन्दू एकता।
02. जब हिन्दू राजाओं में एकता नहीं थी तब भारत ने अपनी आजादी खो दी थी; पर जब महात्मा गाँधी के नेतृत्व में हिन्दू एकता हुई तो भारत ने ब्रिटेन से अपनी आजादी वापस ले ली। सत्य, अहिंसा, स्वदेशी, रामराज्य व गोरक्षा पर आधारित गाँधी जी का आजादी आन्दोलन हिन्दू आन्दोलन ही था। तभी उन्हें सफलता मिली, वे सारे विश्व में पूज्य बने।
03. हिन्दू एकता भारत की आत्मा को जाग्रत करेगी। भारत का स्वाभिमान, आध्यात्मिकता और ऋषियों का ज्ञान वापस आयेगा। परिणामस्वरूप देश से भ्रष्टाचार और अनैतिकता दूर होने के रास्ते खुलेंगे। भारत पुन: जगद्गुरु के रूप में विश्व का मार्गदर्शक बनेगा। हमारे शत्रु भी हमसे मित्रता करने के लिए हाथ बढ़ायेंगे।
04. हिन्दू एकता के अभाव में ही देश में जेहादी आतंकवाद, तीन करोड़ विदेशी बांग्लादेशियों की घुसपैठ, हिन्दुओं का धर्मान्तरण, गौहत्या, मठ-मंदिरों की सरकारी अधिग्रहण के माध्यम से लूट, हिन्दू संतों और देवताओं का अपमान, नारियों पर अत्याचार-बलात्कार, हिन्दुओं के साथ अंधाधुंध भेदभाव, अन्याय, अत्यन्त सहनशील हिन्दू समाज और महान् हिन्दू धर्म को नष्ट करने के षडयन्त्र बहुत तेजी से बढ़े। हिन्दू एकता से ये बुराईयाँ स्वयं नष्ट होने लगेंगी।
05. हिन्दू एकता का सबसे अधिक लाभ समाज की दौड़ में पिछड़े रह गए बन्धुओं को, गरीबों को और देश के बेरोजगार नवयुवकों को मिलेगा। हिन्दू विरोधी अपने को धर्मनिरपेक्ष घोषित करने वाले राजनेताओं द्वारा भ्रष्टाचार के माध्यम से गरीब जनता के परिश्रम का लाखों करोड़ रुपया जो विदेशी बैंकों में जमा है वह भारत वापस लाकर बेरोजगारी दूर करने में और समाज में पिछड़े रह गए बन्धुओं की भलाई में खर्च किया जा सकेगा। विदेशों में जमा कुल धन गाँव में बाँटने पर एक गाँव के हिस्से में कई सौ करोड़ रुपया आयेगा।
06. हिन्दू एकता से ही विश्वशान्ति, विश्वसमृध्दि, विश्वसमन्वय और विश्वएकता संभव। हिन्दू एकता का किसी से विरोध नहीं है। यह सर्वेषां अविरोधेन् है। हिन्दू के लिए सारा विश्व एक कुटुम्ब है। इसमें हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई, यहूदी सभी सम्मिलित हैं। हिन्दू वसुधैव कुटुम्बकम् को मानता है।
07. यद्यपि भारत आज आजाद है; पर हिन्दू आजाद नहीं। हिन्दू की गुलामी को दूर करने के लिए हिन्दू एकता आवश्यक; अत: सभी हिन्दुओं को अपनी जाति, भाषा, प्रान्त, सम्प्रदाय व राजनीतिक दलों के भेदभाव को भूलकर हिन्दू के रूप में एक छत के नीचे आना आवश्यक है तभी हम अपने देश को एक रख पायेंगे और देश की आजादी की रक्षा कर पायेंगे।
आप अपने-अपने क्षेत्र में स्वयं अपनी ही रक्षा के लिए इस आन्दोलन से जुड़ें। नित्य पदयात्राओं के माध्यम से हिन्दू को इकट्ठा करें, हिन्दू एकता का भाव निर्माण करें यही लोकतन्त्र व अहिंसा का मार्ग है।
(लेखक विश्व हिन्दू परिषद के सलाहकार मण्डल के सदस्य हैं।)
इस उत्तम लेख हेतु पंडया जी का अभिनन्दन.