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हंगामा है क्यूं बरपा... - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
-प्रेम जनमेजय साहित्य मे हंगामे न हो तो साहित्य किसी विधवा की मांग या फिर किसी राजनेता का सक्रिय राजनीति से दूर जैसा लगता है। अब किसी ने नशे में कुछ कह दिया है तो इतना हंगामा मचाने की क्या आवश्‍यकता है। पी कर हंगामा करना कोई बुरी बात है।…