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सामाजिक रूढ़िवाद से आज़ाद नहीं हुआ विधवा पुनर्विवाह - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
निशा सहनीमुजफ्फरपुर, बिहार दांपत्य जीवन रूपी गाड़ी के दो पहिए होते हैं. जिस तरह एक पहिया के नहीं रहने से गाड़ी नहीं चल सकती ठीक उसी प्रकार पति या पत्नी के अभाव में जीवन पहाड़ बन जाता है. पुरुष प्रधान समाज में पत्नी के गुजर जाने पर पुरुष की दूसरी…