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क्‍या गोबर  दोबारा मानव जाति का अन्न और प्राणदाता बन सकेगा ? - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
आत्माराम यादव पीव मैं गोबर हॅू, आज अपनी आत्मकथा सुनाना चाहता हॅॅू। मुझ गोबर के पिता का नाम जठरानलानन्द है और श्रीमती सुरभी अर्थात गाय मेरी माता हैं। मेरे जन्मस्थान का नाम लेने से दिन-भर अन्न-जल के दर्शन न होंगे, इसलिए नहीं बताऊँगा। हाँ, मैं इस बात से पूर्णतः आश्वस्त…