विवेक कुमार पाठक
ये बड़ा नहीं बहुत बड़ा और सबसे निर्णायक सवाल है। अगर ये सवाल न होता तो 15 अक्टूबर का दिन ग्वालियर चंबल अंचल के कांग्रेसियों के लिए आराम करने की इजाजत दे देता। बिल्कुल जिस तरह ज्योतिरादित्य सिंधिया के आहवान पर खचाखच भीड़ में एक दूसरे को धकियाते हुए लोग सड़कों पर उतरे हैं उससे कांग्रेसी खेमे में जश्न जैसा मनाया जा रहा है। कांग्रेसी मुख्यमंत्री और ज्योतिरादित्य सिंधिया की लोकप्रियता को रोड शो की भीड़ के जरिए तौल रहे हैं। राहुल और ज्योतिरादित्य के दीदार के लिए कांग्रेसियों से कहीं ज्यादा पब्लिक के सड़कों पर आने से कांग्रेसी उत्साह में हैं और इसे सत्ता परिवर्तन की लहर बता रहे हैं। मगर बात यहां से सिर्फ निकली है दूर तलक कैसे जाएगी ये सवाल राहुल और सिंधिया दोनों के लिए अगली बड़ी चुनौती है।
15 साल से विपक्ष में धूनी लगाए बैठे दल के नेताओं और कार्यकर्ताओं का ये जोश चुनाव तक कायम रहेगा सबसे बड़ा सवाल अब यही युवा ज्योतिरादित्य सिंधिया के दिमाग में खनक रहा होगा।
बेशक 15 साल से मप्र में काबिज शिवराज सरकार के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया का शक्ति प्रदर्शन असहज कर सकता है मगर सड़कों पर उतरने वाले कार्यकर्ता और बेइंतहा भीड़ को वोटों में तब्दील करना राजनीति के दुश्कर कामों में से एक है। भीड़ सवा महीने की चुनावी रणभेरी में ऐसे तमाम जलवे जुलूस देखेगी और तब तक उसका वोट कितनी दफा इधर और उधर डोलता दिखेगा ये फिलहाल वोटर भी नहीं जानता होगा।
दो राय नहीं कि ग्वालियर में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने चार दिन की मैराथन मेहनत करके ग्वालियर की सड़कों पर कांग्रेस का अभूतपूर्व शक्ति प्रदर्शन किया है। तीन चुनाव हारने वाले विपक्षी दल के लिए ये जनसैलाब किसी संजीवनी से कम नहीं।
फिर भी सत्ता और संसाधनों के अभाव में कांग्रेस के लिए चुनावी लड़ाई लड़ना मुश्किल भरा सफर है। ऐसे में अपने पक्ष में माहौल बनाते हुए सत्ता विरेाधी लहर को अधिक से अधिक फैलाना निश्चित ही कांग्रेस का लक्ष्य होगा। ग्वालियर चंबल संभाग की 34 सीटों पर ज्योतिरादित्य सिंधिया का सीधा प्रभाव है। सिंधिया मप्र चुनाव अभियान समिति के प्रमुख हैं इस नाते ग्वालियर में अपने अध्यक्ष राहुल गांधी के सामने अपनी लोकप्रियता को साबित करना सिंधिया के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न था। जिस तरह से सिंधिया समर्थक लंबे समय से सिंधिया को सीएम कैंडीटेड घोषित करने की मांग कर रहे हैं ऐसे में रोड शो की सफलता सिंधिया समर्थकों के लिए भी अपनी और अपने नेता की इज्जत का सवाल था।
कांग्रेसी इसी चुनौती को देखते हुए दम से जुटे और दतिया से ग्वालियर तक सिंधिया ने जिस कदर राहुल गांधी का भीड़ भरे रोड से अभिनंदन कराया है उससे सिंधिया खेमा उत्साह से लबरेज है।
वे अपनी सत्ता वापिसी का दावा जोर शोर से कर रहे हैं मगर जो सोचा जाता है उसे हकीकत में बदलना बहुत सोचने से हजार गुना मेहनत भरा काम होता है।
कांग्रेस की तरह ऐसे रोड शो सत्ताधारी शिवराज सिंह चैहान भी मप्र के सिंहासन पर बने रहने के लिए निकाल रहे हैं और कई महीनों से लगातार निकाल रहे हैं। शिवराज के शुरुआत रोड शो अपेक्षाकृत अधिक भीड़ भरे रहे हैं मगर बाद में सवर्ण आंदोलन के बाद से कुछ कमी जरुर दिखी है मगर इसके बाबजूद वर्तमान में भी लोग उन्हें देखने सुनने पहुंच ही रहे हैं। ऐसे में सत्ता के रोड शो सत्ता की मंजिल किसको पहुंचाएंगे ये तय करना मुश्किल है। ग्वालियर में क्या सिंधिया का भीड़ भरा रोड शो वोट में बदलेगा सबसे बड़ा सवाल यही है।