सर्दी का अस्थमा

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सरफ़राज़ ख़ान

चालीस 40 साल की उम्र के बाद सांस की किसी भी तरह की समस्या अगर सर्दी के दिनों में पहली बार होती है तो यह जब तक कुछ और साबित न हो जाए कार्डिएक अस्थमा होता है। ऐसे मरीजों को चाहिए कि वे तुरंत अपना रक्तचाप चेक करवाएं और अगर यह उच्च हो तो जल्द चिकित्सीय उपचार करवाएं। पहली बार सांस की समस्या एन्जाइना या दिल के दौरा का सूचक भी हो सकती है, लेकिन सर्दी का अस्थमा या एक्यूट एक्जासरबेशन ऑफ विंटर सीओपीडी ;क्रोनिक ब्रांकाइटिस) की अधिक संभावना होती है।

हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. के के अग्रवाल के मुताबिक़ अस्थमा रिवरसेवल एयरवे ऑब्स्ट्रक्षन होता है और सीओपीडी इररिवरसेवल एयरवे ऑब्स्ट्रक्शन होता है। अचानक से सर्दी का सामना करने पर, आद्रता से, वातावरण में प्रदूशण का स्तर गिरने से अस्थमा की आषंका बढ़ जाती है। सर्दी के मौसम में अस्थमा की दवाओं की डोज़ बढ़ाने की जरूरत होती है।

अगर एक व्यक्ति पूरा वाक्य बोल लेता है तो उसमें अस्थमा का अटैक हल्का होता है और अगर बोलने में हकलाता है तो वह मध्यम होता है और अगर अस्थमा के दौरान व्यक्ति सिर्फ शब्द बोल पाता है तो स्थिति गंभीर होती है। गंभीर आघात की स्थिति में व्यक्ति को तुरंत अस्पताल में दाखिल कराये जाने की जरूरत होती है।

अस्थमा का आघात इन्फ्लैमेशन, पाइप के जरिए तरल पदार्थ का सिकुड़ना और एकत्रित होना होता है और विंड पाइप को चौड़ा करने के लिए दवाओं की जरूरत व इन्फ्लेमेशन में कमी करने की जरुरत पडती है।

अस्थमा के लिए स्थायी तौर पर दवा लेने की जरूरत होती है। ऐसी स्थितियों में दो का फार्मूला अपनाना चाहिए। पहला जो व्यक्ति एक साल में दो कनिस्टर इनहेलर का इस्तेमाल करता है या एक महीने में रात में दो या इससे अधिक बार दवाएं लेता है या हफ्ते में रोजाना दो से अधिक बार दवाएं लेता है तो उसे लगातार अस्थमा और एंटी इन्फ्लेमेट्री दवाएं लेने की जरूरत होती है। इनहेलर सबसे बढ़िया विकल्प हैं। (स्टार न्यूज़ एजेंसी)

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