तार-तार होती राजनीति

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शशांक शेखर

भारतीय राजनीतिक इतिहास में इससे बुड़ी बात क्या होगी जब कहे जाने वाले स्टाम्प को वास्तविक रॉबोट की तरह खुद सरकार ने दिखाया है। मामला सचिन तेंदूलकर के राज्यसभा सदस्य के तौर पर मनोनित होने पर है।

फिलहाल, भारतीय संविधान के अनु. 80 (3) के तहत राज्यसभा में 12 सदस्य राष्ट्रपति के द्वारा मनोनित होते हैं जो मंत्रिपरिषद के द्वारा तय किया जाता है। सचिन के नाम की घोषणा उस दिन हुई जब वो सपत्नी कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी से मिले। सोनिया गांधी वास्तविक रुप से सरकार में किसी भी तरह से नहीं जुड़ी हैं और मंत्रीपरिषद में उनका नामोनिशान तक नहीं है। कांग्रेस अध्यक्ष होना और सरकार चलाना एक दबी बात थी जिसपर कुछ नहीं कहा जा सकता था, फिर ऐसा कर सोनिया ने यह दिखला दिया कि मंत्री परिषद और राष्ट्रपति पर किस तरह का वर्चस्व रखती हैं औऱ जब चाहें जैसे चाहें उससे खिलवाड़ कर सकती हैं।

कुछ दिन पहले लोकसभा में भी ऐसा ही वाक्या हुआ, तेलंगाना मुद्दे पर कांग्रेसी नेताओं को सदन से निलंबित कर दिया गया। कांग्रेसी न तो पहली बार हो हल्ला मचा रहे थे और न ही मीर कुमार पहली बार स्पीकर की कुर्सी पर थी। मामला फिर सोनिया से जुड़ा है इतने दिनों के बाद वो कुछ बोल रही थी सदन में। ऐसे में व्यवधान पड़ा और मीरा कुमार ने फर्ज निभाते हुए सांसदो को सदन से बेदखल कर दिया।

फिर बात सचिन की – संविधान के 80 (3) राष्ट्रपति द्वारा खंड (1) के उपखंड(क) के अधीन नामनिर्देशित किए जाने वाले सदस्य ऐसे व्यक्ति होंगे जिन्हें – साहित्य , कला, विज्ञान और समाजसेवा जैसे विषयों में विशेष ज्ञान या व्यवहारिक अनुभव हो।

सचिन एक खिलाड़ी हैं, साहित्य और विज्ञान से कोसों दूर हैं कला में भी कोई रुची नहीं है औऱ समाज सेवा करते कभी चर्चा में नहीं रहे। फिर किस विनाह पर उन्हें राज्यसभा भेजा गया?

वहीं दूसरी तरफ नज़र दें तो हाल ही में भारत रत्न के लिए पहली बार नियमों में संशोधन कर खेल को इसमें जोड़ा गया है ताकि सचिन को आने वाले सालों में सम्मानित किया जा सके। एक तरफ अगर सरकार खेल को कला समझ रहा राज्यसभा भेजने का पैमाना मानती है तो उस विनाह पर भारत रत्न भी दिया जा सकता है जैसे राजीव गांधी को दिया गया।

साफ है कि सरकार की मानसिक दशा इतनी खराब हो गई है कि संविधान और राजनीति को एक समझ रही है और जानबूझ कर गलती से गलती कर रही है।

 

1 COMMENT

  1. सचिन जी अछे क्रिकेटर हैं , अछि बात है, परन्तु वह कोई न तो दार्शनिक ,हैं न ही सामाजिक कार्यकर्ता न ही न्यायविद , न ही देश के लिए कोई उप्लाब्धिदाता , जो क्रिकेट से कमाया वह देश के लिए नहीं बल्कि स्वयं के लिए ,एक कमाऊ ब्यक्ति के लिए इतना उपकार , तो रिक्सा वाला पुरे जीवन भर परिश्रम करता है उसका अधिकार उनसे अधिक है! मेरी राय में उनको राज्यसभा में नहीं भेजना चाहिए !! सोनियां जी भारतीय संस्कृति से अन्विग्य हैं , यहाँ उदारता , दानशीलता गौरव और बड़प्पन है जो ये पश्चमी लोग कभी नहीं समझ सकते हैं !!

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