इंद्रजाल टूटेगा, जरूर टूटेगा

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-अनिल विभाकर

नीतीश कुमार ने अपने मंत्रिमंडल के साथ बिहार की कमान फिर संभाल ली। जिस गांधी मैदान से जयप्रकाश आंदोलन की शुरुआत हुई , जिस ऐतिहासिक मैदान में जेपी ने बड़ी- बड़ी सभाएं कीं और संपूर्ण क्रांति का आह्वान किया उसी ऐतिहासिक मैदान में नीतीश ने जनसमुद्र के बीच अपने नए मंत्रिमंडल के साथ मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इस अवसर पर पटना का गांधी मैदान तो लोगों से लबालब था ही , पटना की सड़कें भी उसमें शिरकत करने वालों से पटी थीं। बिहार के लोगों की नीतीश कुमार से इतनी उम्मीदें हैं, उनमें इतना भरोसा है इसीलिए विधानसभा चुनाव में जनता ने राजग गठबंधन को इतना अपार समर्थन दिया और बिहार को बर्बाद करने वालों को निर्ममता से बाहर का रास्ता दिखाया।

यह ऋषियों – मुनियों का देश जरूर है मगर चाणक्य का भी है, चंद्रगुप्त का भी। सब लोग जानते हैं चाणक्य और चंद्रगुप्त की कर्मभूमि और जन्मभूमि बिहार है। नीतीश का संबंध भी बिहार के उसी इलाके से है जहां चाणक्य और चंद्रगुप्त हुआ करते थे। यानी मगध से। चाणक्य और चंद्रगुप्त के बिहार ने पूरे देश को यह बता दिया कि अब सिर्फ बोलने और बात बनाने का जमाना लद गया। अब काम करने का जमाना है। बिहार विधानसभा के चुनाव परिणाम यही कहते हैं। नीतीश कुमार की आंधी बिहार में इसीलिए चली जिसमें लालू यादव, रामविलास पासवा, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह बेजान पत्ते की तरह हवा में उड़ गए। चुनाव परिणाम आने के बाद लालू यादव और रामविलास पासवान की प्रतिक्रिया जो रही उस पर हंसी आती है। रस्सी जल जाने के बाद भी उसकी ऐंठन नहीं जाती जब तक कि उसे मसल न दिया जाए। लालू- पासवान की बात जली हुई रस्सी की ऐंठन जैसी ही थी। लोजपा नेता रामविलास पासवान ने पिछली लोकसभा के चुनाव से सबक नहीं लिया। उसमें खुद तो हारे ही उनकी पार्टी का खाता तक नहीं खुल पाया। लालू यादव की पार्टी राजद को सिर्फ चार सीट पाकर संतोष करना पड़ा। इतना ही नहीं लालू दो जगह से लोकसभा चुनाव में उतरे थे जिसमें एक सीट पर तो उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था और दूसरी सीट पर हारते – हारते जीते थे। विधान सभा के इस चुनाव में लालू ने अपनी पत्नी पूर्व मुख्य मंत्री राबड़ी देवी को दो जगह से खड़ा किया था मगर बिहार की जनता ने दोनों जगहों से उन्हें नकार दिया। लालू के दोनों साले और पासवान का पूरा कुनबा इस चुनाव में हार गया। बावजूद इसके दोनों की गाल बजाने के आदत नहीं गई। समझदार लोग ठोकर खाने के बाद गलतियां सुधार लेते हैं मगर विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद लालू यादव और रामविलास पासवान ने जो प्रतिक्रिया व्यक्त की उससे तो यही लगता है कि दोनों का विश्वास न तो बिहार की जनता पर है न ही अपनी गलती सुधारने की उनकी नीयत है।

जहां तक कांग्रेस की बात है, वह अपनी आदत से बाज नहीं आएगी। बिहार विधान सभा के चुनाव में सफाए के बाद भी कांग्रेसियों ने चुनाव परिणाम के ठीक दूसरे दिन कांग्रेस की 125 वीं वर्षगांठ पर इलाहाबाद की सड़कों पर सोनिया गांधी के ऐसे पोस्टर चिपकाए जिसमें सोनिया को ‘माता इंडिया’ कहा गया। उस दिन सोनिया गांधी का इलाहाबाद में कार्यक्रम था। समाजवादी पार्टी ने प्रदर्शन कर इस पोस्टर पर कड़ा एतराज जताया। दरअसल कांग्रेसियों का चरित्र ही ऐसा रहा है। कौन नहीं जानता इमरजेंसी के वक्त कांग्रेसी ‘इंदिरा इज इंडिया और इंडिया इज इंदिरा’ कहने में तनिक भी शर्म नहीं महसूस करते थे। अब कांग्रेसी सोनिया गांधी को ‘माता इंडिया’ कह रहे हैं तो हमें कोई हैरत नहीं होती। ‘माता इंडिया’ यानी मदर इंडिया। कांग्रेसी कुछ भी कर सकते हैं , कुछ भी कह सकते हैं। यह सब बिहार विधानसभा के चुनाव के नतीजे आने के ठीक दूसरे दिन हुआ इससे ऐसा लगता है कि कांग्रेसी इस चुनाव से सबक लेने को कतई तैयार नहीं । वे अब भी राहुल राग अलापने और सोनिया वंदना करने से बाज नहीं आ रहे। कांग्रेसी यह भूल जाते हैं कि चाणक्य और चंद्रगुप्त की यह भूमि देश के सपूत का तो स्वागत करती है , राजकुमार और महारानी की तरह कोई आचरण करे तो उसे धूल भी चटाती है। सोनिया गांधी और राहुल गांधी का का रहन- सहन, आचार- व्यवहार लोगों को महारानी और युवराज की तरह लगता है। दोनों की देहभाषा और भाव भंगिमा आमजन की तरह नहीं है। कौतूहल की वजह से भीड़ जुटने का मतलब यह कतई नहीं कि लोग उन्हें पसंद करते हैं। बिहार की जनता ने इसीलिए चुनाव में कांग्रेस को धूल चटाई। जां जहां भी राहुल गांधी, सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह ने सभाएं कीं, वहां से कांग्रेस हार गई। बिहार लोकतंत्र की जन्मभूमि भी है। यह किससे छिपा है कि कांग्रेस में लोकतंत्र नहीं है। इस दल में सबकुछ राजतंत्र की तरह चलता है। केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व में गठबंधन सरकर आमजन के साथ जिस तरह क्रूर मजाक कर रही है, बिहार विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा। कांग्रेस के समर्थन से ही पंद्रह साल तक बिहार में लालू – राबड़ी का कुशासन चला और जनता को इतना दुख झेलना पड़ा। यह सचाई बिहार की जनता कैसे भूल जाएगी। हमें यह लगता है कि इस विधानसभा के चुनाव ने बिहार में बहार आने के संकेत दिए हैं। देश के अन्य राज्यों में भी इसका असर पड़ेगा ऐसी उम्मीद है। अंत में ‘इंद्रजाल’ शीर्षक अपनी एक ताजा कविता प्रस्तुत कर रहा हूं जिसमें एक भरोसा है। भरोसा यह है कि केंद्र में कांग्रेस का यह इंद्रजाल एक न एक दिन जरूर टूटेगा और देश की जनता सोच समझकर किसी को संसद और विधानसभाओं में भेजेगी।

इंद्रजाल

यह है इंद्रप्रस्थ का इंद्रजाल

इसमें भूखी- नंगी जनता सुनहरे सपने देखती है

और महारानी के दर्शन भर से धन्य हो जाती है।

गरीब जनता गौर से निहारती है महारानी को

उनमें उसे सत्यहरिश्चंद्र की आत्मा नजर आती है

उसे लगता है वे महारानी नहीं, सत्य हरिश्चंद्र की नया अवतार हैं

इंद्रप्रस्थ की रानी कहती है देश में भ्रष्टाचार बढ़ गया

करोड़पतियों की संख्या तो बढ़ी

गरीबों की आबादी में भी इजाफा हुआ

रानी कहती है गरीबी और भ्रष्‍टाचार बेहद चिंता की बात

जनता जवाब नहीं मांगती

वह तो मंत्रमुग्ध है उनके सम्मोहन में

ऋषियों का यह देश चाणक्य का भी है

चंद्रगुप्त का भी

सपने तो टूट ही रहे हैं

जिस दिन टूटेगा इंद्रजाल जनता पूछेगी

रानी जी! फिर कलमाडी को क्यों बचाया?

और राजा को क्यों हटाया?

महारानी जी! थरूर पर हुई थू-थू

फिर भी कम नही हुई मनमोहन की मुस्कान

ये सब के सब तो आपके ही प्यादे हैं न

राज आपका

बिसात आपकी, प्यादे आपके

संविधान में सरकार भले ही चलती है संसद से

हकीकत यह है कि दस जनपथ की इच्छा के बिना

सात रेसकोर्स का पत्ता तक नहीं हिलता

रानी जी, पूरा देश जानता है

आपकी मुस्कान से ही मुस्कुराते हैं करोड़पति – अरबपति

आपके चहकने से आमजन हो जाता है मायूस

दरअसल सिर्फ कहने को जनपथ में रहती हैं आप

भले ही इस देश में आपका अपना कोई घर-बार नहीं

हकीकत में आप राजपथ की रानी हैं

तौर- तरीके और रहन- सहन से तो यही लगता है

आप इंद्रप्रस्थ की महारानी हैं।

समय आने दीजिए महारानी जी!

भूखी- नंगी जनता करेगी आपकी करतूतों का पूरा हिसाब

पूछेगी क्या हुआ अफजल का, कहां है कसाब?

पूछेगी क्या संसद से भी बड़ा है होटल ताज?

महारानी जी यही है आपका राज?

जरूर टूटेगा एक दिन इंद्रजाल

और भूखी- नंगी जनता को लगेगा

आपमें नहीं बसती है सत्य हरिश्चंद्र की आत्मा।

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