बिना पन्हैंयां तपी धूप में, कैसे चल पायें|
चलो नीम के नीचे बैठें ,थोड़ा सुस्तायें||
दौड़ भाग में टूटे जूते, कहीं छोड़ आये|
हार गये पापा से कहकर, नये नहीं लाये||
अम्मा ने की नहीं सिफारिश ,दादाजी चुपचाप|
जूते नहीं लायेंगे पापा ,बिना कहे ही आप||
चलो आज इसकी खातिर, दादी को उकसायें
चलो नीम के नीचे बैठें ,थोड़ा सुस्तायें||
जूतों के बिन एक कदम भी ,चला नहीं जाता|
इस पर भी मम्मी पापा को ,तरस नहीं आता||
बड़ी बहन ने मुझको ही ,पल पल में डांटा है|
मेरा हुआ गरीबी में ही, गीला आटा है||
माफी मांग मांग पापा से, उनको समझायें|
चलो नीम के नीचे बैठें, थोड़ा सुस्तायें||