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बिना पन्हैंयां-प्रभुदयाल श्रीवास्तव - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
बिना पन्हैंयां तपी धूप में, कैसे चल पायें| चलो नीम के नीचे बैठें ,थोड़ा सुस्तायें|| दौड़ भाग में टूटे जूते, कहीं छोड़ आये| हार गये पापा से कहकर, नये नहीं लाये|| अम्मा ने की नहीं सिफारिश ,दादाजी चुपचाप| जूते नहीं लायेंगे पापा ,बिना कहे ही आप|| चलो…