महिलाओं के विकास के लिए संकल्पित मध्‍यप्रदेश सरकार

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डॉ. मयंक चतुर्वेदी

इस देश के आदर्श श्रीराम के मुख से महर्षि बाल्मीकि ने अपने ग्रंथ रामायण में ‘जननी-जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गिरियसी’ कहलवाकर वर्षों पूर्व ही माँ और जन्मभूमि को स्वर्ग से भी महान बता दिया था। उनके पूर्व ग्रंथ मनुस्मृति में मनु ने जो संविधान जम्मूद्वीप भरतखण्ड-आर्यावर्त और भारत वर्ष को दिया, उसमें भी स्त्री सम्मान में यहाँ तक लिख दिया कि ‘यत्र नार्यस्तु पुजयन्ते रमन्ते तत्र देवता’ यानि जहां नारी की पूजा होती है वहाँ देवता निवास करते हैं। हिन्दुस्तान के संघर्षकाल में विशेषकर भारत के मध्यकाल और हिन्दी साहित्य के भक्तिकाल में कवि तुलसीदास ने अपने ग्रंथ रामचरितमानस में स्त्री की चिंता करने और उसकी देख-रेख करते हुए आवश्यक मांगों को पूरा करने की जो महति जिम्मेदारी हमारे पुरूष प्रधान समाज के सामने रखी है। वस्तुत: लोकतंत्रात्मक शासन प्रणाली में कल्याणकारी राज्य की अवधारणा के अनुरूप मध्यप्रदेश की सरकार उसे अपने अथक प्रयत्नों से पूर्ण करती हुई दिखलाई देती है। ऐतिहासिक प्रमाण इस बात को और अधिक प्रभावी ढंग से स्पष्ट कर देते हैं जिन राज्यों, सम्प्रदायों, धर्मों और जातियों में स्त्री शिक्षा, महिला विकास के बीच अवरोध पैदा किया गया है। आज वह राज्य या जातियाँ प्रगति के उन्नत शिखर से बहुत पीछे छूट गये हैं।

प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई थी तब किसी को भी यह कल्पना नहीं थी कि विकास के मामले में बहुत पीछे छूट चुका मध्यप्रदेश विशेषकर महिला केन्द्रीय प्रभावी योजनाओं को अतिशीघ्र प्रारंभ कर पाएगा। वास्तव में परिवार की मुख्य केन्द्र महिला को सशक्त और आत्मबली बनाकर ही प्रगतिशील राज्य की संकल्पना साकार की जा सकती है। जिसे प्रदेश सरकार ने सच कर दिखाया है।

मध्यप्रदेश में बीते सालों से महिलाएँ निरंतर आगे बढ रही हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जब यह कहते हैं कि प्रदेश में महिलाओं के विकास के लिए सशक्त वातावरण तैयार होना ही चाहिए, आधी आबादी की चिंता किए बगैर मध्यप्रदेश को उन्नत राज्य नहीं बनाया जा सकता, तब निश्चित ही मुख्यमंत्री के इस कथन में उनकी नेक नियत झलकती है। वह हकीकत में महिलाओं के विकास के पक्षधर हैं। इसलिए तो उन्होंने महिलाओं की चिंता करते हुए, उनके चेहरों पर मुस्कान बिखरने की मंशा से अभिभूत हो समाज में पिछडी और कमजोर मानी जाने वाली कामकाजी महिलाओं तक के लिए नि:शुल्क पाठ्यपुस्तक बीमा योजना, स्वयं सिध्दाा, जननी एक्सप्रेस, धनवंतरी, मातृ शिशु रक्षा कार्ड, प्रसूति सहायता पेंशन, उपचार आदि योजनायें शीघ्र संचालित करवाई हैं।

वस्तुत: यह कदम राज्य की महिलाओं की सतत उन्नति और सर्व कल्याण के लिए मुख्यमंत्री की प्रतिबध्दाता दर्शाता है। राज्य सरकार ने ग्रामीण विकास से लेकर आयुष विभाग तक 33 प्रमुख विभागों में अनेक योजनाएँ संचालित की हैं। प्राय: सभी में यह सुनिश्चित किया गया है कि महिलाएँ अधिक से अधिक राज्य सरकार की बनाई योजनाओं का लाभ उठायें। ग्रामीण विकास के अंतर्गत राष्टन्ीय, ग्रामीण रोजगार गारंटी स्कीम, नंदन फलोद्यान, कपिलधारा, सामुदायिक विकास कार्य, इंदिरा आवास, स्वर्ण जयंती ग्राम रोजगार में महिलाएँ आगे आकर लाभ उठा सकती हैं। कृषि क्षेत्र में स्वीकृत अनाज विकास, सघन कपास विकास, गन्ना विकास, सूरज धारा अन्न पूर्णा, खेत तालाब, बायो गैस परियोजना, राष्ट्रीय कृषि बीमा बलराम तालाब, मजदूर सुरक्षा और विक्रमादित्य नि:शुल्क शिक्षा योजनाओं में महिलाएँ कृषि क्षेत्र में लाभ लें। उद्यानिकी में जिन ग्रामीण महिलाओं के पास जमीन है वह सब्जी, पुष्प और औषधीय विकास के लिए सरकार से हर संभव सहायता प्राप्त कर सकती हैं।

लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण द्वारा संचालित योजनाओं ने तो आज देश में अपना श्रेष्ठ स्थान बना लिया है। सूबे की जननी सुरक्षा योजना से प्रेरणा लेकर अन्य राज्य भी अपने यहाँ महिलाओं के लिए ऐसी ही कल्याणकारी योजनाएँ बना रहे हैं। मध्यप्रदेश राज्य की बीमारी सहायता निधि, दीनदयाल अंत्योदय, मोबाइल हेल्थ क्लीनिक स्वास्थ्य क्षेत्र की ऐसी योजनाएँ हैं जिन्होंने महिलाओं के सामने हिचकिचाहट छोड, अपनी चिंता करने के दरवाजे खोल दिए हैं, नहीं तो संकोच और मंहगे इलाज के भय से कई महिलाएँ बिमारी में भी अपना इलाज कराने से बचती थीं। मध्यप्रदेश में महिला व बालविकास की दिशा में अनेक सार्थक प्रयास किए गए हैं लाडली लक्ष्मी, मंगल दिवस योजना हो या अति गरीब महिलाओं को प्रसव पूर्व आर्थिक सहायता पहुँचाने के उद्देश्य से बनाई गई गोद भराई योजना हो, इन सभी योजनाओं ने सूबे की गरीब से गरीब महिला को भी प्रदेश में सम्पन्न महिलाओं की तरह सुविधा प्राप्त करने के मामले में आपसी समानता के मुकाम पर लाकर खडा कर दिया है।

कांग्रेस शासन में जहाँ महिला एवं बच्चों के कल्याण के लिए अधिकतम विभागीय बजट 335 करोड 86 लाख रूपए था वहीं आज यह कई गुना बढाया गया है। वर्ष 2009-10 में यह राशि रू. 1655.30 करोड थी। वर्ष 2010-11 में इसे 1860.27 करोड कर दिया गया। बजट में की गई वृद्धि साफ दर्शाती है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार की नियत महिलाओं के संपूर्ण विकास के संदर्भ में बिलकुल साफ है। सिर्फ लाडली लक्ष्मी योजना में ही मध्यप्रदेश सरकार 2007 से अब तक लाखों बालिकाओं को लाभान्वित कर चुकी है।

अनुसूचित जाति-जनजाति की महिलाओं के लिये राज्य सरकार द्वारा विशेष कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। नि:शुल्क शिक्षा, छात्रावास की सुविधा, छात्रवृत्ति, खिलाडियों को प्रोत्साहन, नेतृत्व विकास शिविर, जनश्री बीमा, विद्यार्थी कल्याण, कन्या साक्षरता प्रोत्साहन, नि:शुल्क साईकिल, उत्कृष्ट छात्रावास, आवासीय विद्यालय, पब्लिक व सैन्य विद्यालय प्रवेश योजना, विदेश में अध्ययन के लिये छात्रवृत्ति, सिविल सेवा में प्रोत्साहन के लिये आर्थिक सहायता, रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण, राहत योजना, विधि स्नातकों को आर्थिक मदद, अस्पृश्यता निवारण के लिये अंतर्जातीय विवाह प्रोत्साहन पुरस्कार आदि अनेक ऐसे प्रोग्राम और योजनाएँ है जो प्रदेश में अस्पृश्य कहे जाने वालों के लिए या उनके लिए संचालित हो रही हैं जो समाज के सताए हुए हैं अथवा विकास की सामाजिक यात्रा में किसी कारण से पीछे छूट गये हैं।

आज आगनबाडी केन्द्रों के माध्यम से गाँव-गाँव और वार्ड-वार्ड में बच्चियों और माताओं के पूरक आहार, स्वास्थ्य, शिक्षा, टीकाकरण, पोषण, परामर्श, अनौपचारिक शिक्षा की पूरी देख रेख की जा रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की महत्वपूर्ण मंशा रही है कि वह महिलाओं को राजनीतिक क्षेत्र में भी समानता के स्तर पर लाकर खडा कर दें। उसी के अनुरूप नगरीय निकायों के चुनाव में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण देने का अह्म फैसला लिया गया था। वस्तुत: यह निर्णय देश में किसी राज्य द्वारा पहली बार लिया गया फैसला था जिसने राजनीतिक क्षेत्र में महिलाओं को पुरूषों के स्तर पर लाने का प्रयास किया। महिला पंचायत में मुख्यमंत्री ने स्थानीय संस्थाओं में आम सहमति से 33 से 50 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने की घोषणा की। वर्ष 2008 के बजट में पहली बार 13 विभागों में महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण, समानता और राज्य के विकास में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने की मंशा से जेंडर बजट की व्यवस्था की गई, जो निरन्तर जारी है। घरेलू हिंसा रोकने की दिशा में उषा किरण योजना एक प्रभावी पहल साबित हुई है, वहीं प्रत्येक जिले के चुनिंदा महिला थानों में महिला डेस्क की व्यवस्था महिलाओं को सुरक्षा का पुख्ता भरोसा दिलाती हैं।

महिला सशक्तिकरण की दिशा में गाँव की बेटी, महिला बटालियन, पुलिस हेल्पलाईन, मुख्यमंत्री कन्यादान योजना, राज्य महिला हॉकी अकादमी की स्थापना, रचनात्मक क्षेत्र में श्रेष्ठ उपलब्धि प्राप्त करने वाली महिला को रानी दुर्गावती पुरस्कार, वीरता के लिए रानी अवन्ती बाई राज्य स्तरीय वीरता पुरस्कार और राजमाता विजयाराजे सिंधिया समाज सेवा पुरस्कार प्रारंभ किए हैं।

वस्तुत: मौजूदा सरकार महिलाओं का कल्याण करने वाली और उन्हें अधिक मजबूती प्रदान करने वाली साबित हुई है। सूबे में भाजपा की सरकार बनने के बाद से अब तक अनेक ऐसी अनूठी योजनाएँ बनाईं और निरन्तर क्रियान्वित की गई हैं, जिन्होंने आज मध्यप्रदेश की महिला कल्याण और सशक्तिकरण के मामले में अपनी अलग पहचान बनाई है।

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