pravakta.com
स्त्री चेतन मन में होनी चाहिए, अवचेतन में नहीं - सारदा बनर्जी - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
आम तौर पर देखा गया है कि हिन्दी साहित्य में पुरुष कवियों के हमेशा अवचेतन में स्त्री आई है। स्त्री को लेकर कुंठित भाव व्यक्त होता आया है। स्त्री कवियों के चेतन भावबोध का हिस्सा न होकर अवचेतन में घर किए रहती है जो स्त्री के प्रति संकुचित और स्त्री…