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मजदूर की व्यथा - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
-मनीष सिंह- करता हूँ मेहनत जीतोड़ , सब कहते मुझको मजदूर। धनी हूँ मैं परिश्रम का , पर हालत से हूँ मजबूर। बसाए मैंने शहर कई , कितनी ही बनाई मीनारें। किस्मत ही अपनी बना न सका , मिलीं राह में दीवारें। नेता के भाषण में रहता ,…