दर्दो को कागजो पर लिखता रहा

2
212

जिन्दगी के दर्दो को,कागजो पर लिखता रहा
मै बेचैन था इसलिए सारी रात जगता रहा

जिन्दगी के दर्दो को,सबसे छिपाता रहा
कोई  पढ़ न ले,लिख कर मिटाता रहा 

मेरे दामन में खुशिया कम् थी,दर्द बेसुमार थे
खुशियों को बाँट कर,अपने दर्दो को मिटाता रहा

मै खुशियों को ढूढता रहा,गमो के बीच रहकर
वे खुशियों को छीनते रहे,मै गमो में तडफता रहा

जिनको जल्दी थी,वो बढ़ चले मंजिल की ओर
मै समंदर से राज, गहराई के सीखता रहा

बदले रंग सभी ने यहाँ,गिरगिट की तरह
रंग मेरा निखरा पर मेहँदी की तरह पिसता रहा

आर के रस्तोगी  

Previous articleसीरिया में ट्रंप का शीर्षासन
Next articleदलितों का मंदिरों में सम्मानजनक प्रवेश
आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

2 COMMENTS

  1. खुशियों को बाँटकर दर्दों को मिटाना बहुत गहरी और बडी बात है.
    कवि को बधाई.
    सुन्दर कविता.
    रस्तोगी जी — लिखते रहिए.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here