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अधर्म है दूसरों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाना - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
पृथ्वी पर बसने वाली मानवजाति सहस्त्राब्दियों से हज़ारों धर्मों तथा लाखों आस्थाओं एवं विश्वासों के साथ अपना जीवन गुज़ारती आ रही है। प्रत्येक इंसान के पूर्वजों ने उसे विरासत में जो भी धर्म या विश्वास हस्तंातरित किया है वह प्राय: उसी धर्म,विश्वास,विचारधारा,रीतिरिवाज तथा परंपरा का अनुसरण करता आ रहा है।…
तनवीर जाफरी