चक दे इंडिया की ओर ले जातीं यशोधरा राजे सिंधिया

विवेक कुमार पाठक
स्वतंत्र पत्रकार
खिलाड़ियों की पौध खड़ा करने वाला मंत्री अगर खेलकूद का प्रशंसक हो तो खेल के लिए इससे बेहतर बात नहीं हो सकती है। मप्र में इस वक्त यह बात साकार होते दिख रही है। प्रदेश की खेल एवं युवक कल्याण मंत्री यशोधराराजे सिंधिया खिलाड़ियों की तरह खेल भावना रखने वाली हैं। उनके सामने उनकी हॉकी अकेडमी और बैंडमिंटन कोर्ट में खिलाड़ियों के अलावा बेफालतू कदम रखने वालों की खैर नहीं।सिंधिया परिवार में जन्मी यशोधराराजे सिंधिया को राजनीति विरासत में मिली है। वे भारतीय जनता पार्टी को को शैशव अवस्था में गड़ने वालीं राजमाता विजयाराजे सिंधिया की सबसे छोटी बेटी हैं। राजमाता अटल आडवाणी और कुशाभाउ ठाकरे और मामा माणिकचंद वाजपेयी के साथ भाजपा को देश में खड़ा करने वालीं जुझारु नेता थीं। आज राजमाता की बड़ी बेटी वसुंधराराजे सिंधिया राजस्थान की सीएम हैं तो यशोधराराजे सिंधिया मप्र की खेल एवं युवक कल्याण मंत्री हैं। यशोधराराजे के कार्यकाल में मप्र के खिलाड़ियों का प्रदर्शन ग्राफ तेजी से बड़ा है। देश में पिछड़े पिछड़े रहने वाले एमपी के खिलाड़ी अब आए दिन मेडल ला रहे हैं। दो दिन पहले ही मप्र के फेंसिंग खिलाड़ी शंकर पांडे अपना स्वर्ण पदक लेकर यशोधराराजे से मिलने पहुंचे। वे खेल मंत्री द्वारा प्रदेश में बनाए वातावरण से प्रेरित हुए सो कामयाब भी हुए। इससे पहले ग्वालियर में राज्य महिला हॉकी अकादमी को स्थापित करना उनकी बड़ी उपलब्धि रही है। मप्र की महिला हॉकी खिलाड़ियों ने नेशनल टीम में एक साथ छह स्थान लेकर जोरदार एंट्री की। आम परिवारों ने आईं युवतियों ने सरकारी हॉकी अकादमी में जब खुद को भरपूर प्रोत्साहन पाया तो वे भी जुट गईं चक दे इंडिया का सपना पूरा करने। मप्र में खेलों का उन्नयन और खिलड़ियों के मेडल का सिलसिला लगातार तेजी से बढ़ता जा रहा है।इस वातावरण को बनाने वाली यशोधराराजे ग्वालियर चंबल अंचल के शिवपुरी क्षेत्र से विधायक हैं और इससे पहले वे प्रदेश की वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री रह चुकी हैं। उस दौरान वे अपनी बेबाकी शैली के कारण चर्चित भी रहीं। उद्योग विभाग के अफसर तेजतर्रार मंत्री के नेतृत्व में सहज नहीं हुए और आखिर लंबे अनबोे के बाद यशोधराराजे को ही उद्योग विभाग से सरकार ने विदाई दे दी। इस तरह विदाई के कारण सरकार से वे लंबे समय अनबोली सी रहीं मगर खेल एवं युवक कल्याण विभाग में उनके काम ने सरकार को उनके काम के प्रचार प्रसार को मजबूर कर दिया है। आज प्रदेश के खिलाड़ियों की सफलता पर राज्यस्तरीय समारोह सरकार करती है तो खिलाड़ियों से सरकार ने नियमित संवाद बनाया है।यशोधराराजे अपनी जिद की पक्की और काम को लेकर जुनूनी हैं और इस कारण वे राजनैतिक विरासत के बाबजूद मप्र में बीच बीच में उपेक्षा का सामना भी करती हैं। मुंहदेखी राजनीति के दौर में यशोधराराजे के आसपास सत्ता से उपकृत होकर साथ चलने वाले कार्यकर्ताओं का अभाव है मगर उनके प्रशंसक और समर्थक जो हैं पक्के हैं मुंखदेखे कतई नहीं। उनके विरेधी दल के नेता भी उनके काम को लेकर जुनून और जिद की तारीफ करते हैं। खेलों की शौकीन यशोधराराजे देश के अखबारों में आए दिन गोल्फ खेलते हुए फोटो के साथ चर्चा में आती हैं। वे फिटनेस लवर हैं और हम फिट तो इंडिया फिट अभियान के चैलेंज वाले वीडियो के कारण देश भर में चर्चित रहीं हैं। ट्रेडमिल पर तेजी से दौड़ते कदमों के साथ उनका वीडियो मप्र के खिलाड़ियों से लेकर राजनेताओं और खेल जगत में  खूब चर्चा में रहा था।
मप्र लंबे समय तक खेलों में पिछलग्गू प्रदेश रहा है। ऐसे में खेल मंत्री का आगे बढ़कर खिलाड़ियों का नेतृत्व करना बेहतर बदलाव है और इसकी लंबे समय से जरुरत थी। खेल जगत में उनके व्यक्तिगत संबंधों का मप्र के खिलाड़ियों को लाभ मिल रहा है। पुलेला गोपीचंद , साहना नेहवाल जैसे खिलाडी़ मप्र आते रहेंगे तो चक दे इंडिया कहने से मप्र के खिलाड़ियों को कोई नहीं रोक सकता।

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