ये है दिल्ली मेरी जान

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लिमटी खरे 

युवराज की हुंकार से नींद उड़ी मनमोहन की!

कांग्रेसियों के लिए यह संतोष और हर्ष की बात हो सकती है कि युवराज राहुल गांधी ने अंततः अपने आपको किसी बड़ी जवाबदारी लेने के लिए राजी कर ही लिया। राहुल की उक्त हामी से अगर किसी की नींद उड़ी है तो वे हैं मनमोहन सिंह। एक के बाद एक झटकों के बाद भी अपनी कुर्सी बचाए रखने में सफल होने वाले मनमोहन सिंह ने अपने रास्ते के सबसे बड़े कांटे अर्थात वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी को रायसीना हिल्स भेजकर अभी चैन की ही सांस ली थी कि अचानक ही राहुल ने यह धमाका कर दिया। राहुल गांधी के बड़ी जिम्मेदारी संभालने का सीधा तात्पर्य यही है कि मनमोहन अब कुर्सी छोड़ो, युवराज इस जवाबदारी को संभालने के लिए तैयार हैं। राहुल का यह बयान कि वे बड़ी जवाबदारी उठाने को तैयार हैं, दुनिया की मशहूर टाईम पत्रिका में मनमोहन को अंडर एचीवर का खिताब मिलने के एन बाद में आया है। इसके अनेक मतलब लगाए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि मनमोहन को निकम्मा साबित कर सारा ठीकरा उन पर फोड़ राहुल की ताजपोशी के मार्ग प्रशस्त किए जाएंगे।

. . . इस तरह लिखी गई मध्यावधि बचाने की स्क्रिप्ट!

राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवार के चयन के पहले चरण में ही ममता बनर्जी और मुलायम सिंह यादव की जुगलबंदी से लगने लगा था कि जल्द ही देश मध्यावधि चुनावों के भंवर में फंसने वाला है। सूत्रों के अनुसार मुलायम इसके लिए तैयार नहीं थे, क्योंकि कन्नौज से जीती उनकी बहू डिंपल अभी संसद के लटके झटकों से वाकिफ नहीं हो पाई थी। ममता ने कहा कि डिंपल में गट्स हैं, दुबारा जीतने का माद्दा है। फिर क्या था मुलायम मान गए। ममता मुलायम की संयुक्त पत्रवार्ता के तुरंत बाद मुलायम के करीबी मुंबई के एक उद्योगपति जो प्रणव मुखर्जी को ‘अंकल‘ संबोधन देते हैं, ने आनन फानन दिल्ली आकर मुलायम की सोनिया गांधी से गुपचुप भेंट करवा दी। इस पूरी कवायद को अंजाम दिया था अहमद पटेल और राजीव शुक्ला ने। दोनों ही ने अंकल प्रणव के भतीजे को मुंबई से दिल्ली बुलवाया और सारा ताना बाना बुना। मध्यावधि चुनाव कांग्रेस कतई नहीं चाह रही थी। अब गदगद सोनिया द्वारा लगातार अहमद पटेल और राजीव शुक्ला की पीठ थपथपाई जा रही है।

ट्विटर है नेताओं की पहली पसंद

संचार क्रांति के इस युग में शशि थुरूर फेम (एक समय था जब फिल्म हिट हो जाने पर उस अभिनेता के नाम के आगे यही लिखा जाता था), ट्विटर भारत गणराज्य के आला नेताओं को खासा भा रहा है। उधर, पूर्व महामहिम राष्ट्रपति अब्दुल कलाम पर भी सोशल नेटवर्किंग वेब साईट भारी पड़ती दिख रही है। कलाम फेसबुक से जुड़ चुके हैं। कलाम ने फेसबुक के माध्यम से अपने अनुभव बांटने का आगाज किया है। उधर ट्विटर पर 14 लाख छः हजार दो सौ फालोअर्स के साथ शशि थुरूर आज भी टाप पर हैं। उनके बाद नंबर आता है भाजपा के कथित लौह पुरूष नरेंद्र मोदी का। नरेंद्र मोदी के प्रशंसकों की तादाद 7 लाख 54 हजार सात सौ है। प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह के फाओअर्स 2 लाख 88 हजार 600 तो सुषमा स्वराज के 2 लाख 73 हजार 600 हैं। फेसबुक पर गरीब राजनेताओं में ममता बनर्जी के प्रशंसक महज 15 हजार तो लालू प्रसाद यादव के केवल पांच हजार ही हैं।

शर्मसार देश, बापू को नहीं मिली राष्ट्रपिता की उपाधि!

भले ही समूचे देश के साथ ही साथ विदेशों में भी भारत के आधी लंगोटी वाले संत मोहन दास करमचंद गांधी को भारत गणराज्य का राष्ट्रपिता समझा जाता हो, पर देश के लिए शर्म की बात है कि आजादी के उपरांत आज तक भारत गणराज्य की सरकार द्वारा बापू को राष्ट्रपिता की उपधि से सम्मानित नहीं किया गया है। सूचना के अधिकार कानून के जवाब में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यह कहा है कि कि यद्यपि बापू को राष्ट्रपिता के बतौर जाना जाता है, पर सरकार द्वारा उन्हें अब तक यह उपाधि आधिकारिक तौर पर प्रदान नहीं की है। गौरतलब है कि इसके पूर्व लखनउ के पांचवे दर्जे की छात्रा एश्वर्या ने भी इस तरह की जानकारी चाही थी, जिसके जवाब में सरकार ने साफ कह दिया था कि उसके पास एसे कोई दस्तावेज मौजूद नहीं है जिससे साबित हो सके कि बापू को राष्ट्रपिता की उपाधि से नवाजा गया था। यह आधी सदी से ज्यादा देश पर राज करने वाली कांग्रेस के साथ ही साथ देशवासियों के लिए शर्म ही बात कही जा सकती है।

रेल यात्रा यानी एसी फर्स्ट क्लास

इक्कीसवीं सदी के स्वयंभू प्रबंधन गुरू और भारत गणराज्य के रेल मंत्री रहे लालू प्रसाद यादव के उपरांत भारतीय रेल में सुविधाओं का स्तर गिरता ही जा रहा है। भारतीय रेल भी अब मानने लगी है कि जनरल और शयनायन बोगियों की तरफ ध्यान देने से कोई मतलब नहीं है। रही बात वातानुकूलित श्रेणी की तो इसमें भी एसी थर्ड और एसी सेकंड क्लास भी अब अफोर्डेबल हो गया है सो इस पर भी ध्यान अगर ना दिया जाए तब भी चल जाएगा। अमूमन देखा गया है कि भारतीय रेल की जनरल और साधारण शयनायन श्रेणी के टायलेट्स में पानी नदारत रहता है और ये बुरी तरह सड़ांध मारते रहते हैं। अब तो एसी थर्ड के हाल बेहाल हैं। थर्ड एसी में टायलेट में साबुन और पानी ना होना आम बात हो गई है। थर्ड और सेकंड एसी में बेड रोल के साथ तोलिया देने का रिवाज सा समाप्त हो गया है। रेल्वे को सुध है तो महज एसी फर्स्ट क्लास की। वह भी इसलिए क्योंकि इसमें देश की सबसे बड़ी पंचायत के पंच यानी सांसद जो सफर करते हैं।

ब्रिटिश वायसराय के मकान में रहते आए हैं प्रथम नागरिक

देश के लिए इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या कहा जाएगा कि आजादी के छः दशकों बाद भी भारत गणराज्य की सरकारें देश के प्रथम नागरिक के लिए एक अदद मकान नहीं बना पाई है। आज भी रायसीना हिल्स पर दासता के प्रतीक ब्रिटिश वायसराय के लिए बने सरकारी आवास में आज भी देश की सरकारों द्वारा देश के प्रथम नागरिक को ससम्मान निवासरत किया हुआ है। इन छः दशकों में देश पर आधी सदी से ज्यादा राज करने वाली लगभग सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस के सरमायादार भले ही देश को आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर निरूपित करती आई हो, सियासतदारों ने अपने खुद के रहने के लिए एक से एक बढ़िया मंहगी आधुनिक अट्टालिकाएं खड़ी कर लीं हों पर भारत गणराज्य के महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रियों को गुलाम भारत में बनी इन इमारतों में ही चैन की नींद आ रही है। यह देश का दुर्भाग्य ही माना जाएगा कि देश के पहले नागरिक को आजादी के उपरांत एक मकान तक बनाकर नहीं दे पाई देश की सरकार!

रिजर्व फारेस्ट में थापर के गुर्गों ने किया चिंकारा को मारा

देश के मशहूर उद्योगपति गौथम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में आदिवासी बाहुल्य घंसौर विकासखण्ड के बरेला संरक्षित वन में लगने वाले कोल आधारित पावर प्लांट में एक हिरण के शिकार की खबर से हड़कम्प मच गया है। यद्यपि इस हिरण को कुत्तों के द्वारा मारा जाना बताया जा रहा है किन्तु उसके शरीर पर लगभग आठ इंच गहरा सुराख इस ओर इशारा कर रहा है कि उसे गोली मारी गई है। आनन फानन रेंजर के बजाए उप वन क्षेत्रपाल की उपस्थिति में ही उसका शव परीक्षण कर अंतिम संस्कार भी कर दिया गया। रिजर्व फारेस्ट में इस संयंत्र के आसपास शिकार की अनेक शिकायतें आम हो रही हैं। कहते हैं इस मामले के उछलने और तूल पकड़ने के चलते वहां के मुख्य वन संरक्षक का तबादला कर उन्हें लूप लाईन में डाल दिया गया है।

बसपा में भविष्य खोज रहे खुर्शीद

कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी की मुखालफत करने वाले सलमान खुर्शीद कांग्रेस में अपनी उपेक्षा से खासे खफा बताए जा रहे हैं। पिछले दिनों जब वे भोपाल दौरे पर गए तब उन्हें एयरपोर्ट पर रिसीव करने कांग्रेस के नेता नहीं पहुंचे। इसके बाद राहुल गांधी के खिलाफ उनका बयान मीडिया में आ गया। यूपी में कांग्रेस की तार तार स्थिति से खुर्शीद दुखी बताए जाते हैं। खुर्शीद के करीबी सूत्रों का कहना है कि वे सूबे के कांग्रेस अध्यक्ष रह चुके हैं, इसलिए जमीनी हकीकत उनसे छिपी नहीं है। सोनिया और राहुल का संसदीय क्षेत्र भी यूपी में ही है। कांग्रेस के अनेक नेताओं को अब सोनिया राहुल से चमत्कार की उम्मीद नहीं बची है। सूत्रों की माने तो खुर्शीद बसपा सुप्रीमो मायावती के संपर्क में हैं और वे उसमें अपना भविष्य भी खोज रहे हैं। उधर, मायावती को भी मुलायम सिंह यादव की काट के लिए एक अदद मुस्लिम चेहरे की तलाश है।

भगवान भरोसे है जनसंपर्क की वेब साईट

भगवा रंग में रंगी भाजपा शासित मध्य प्रदेश सरकार के जनसंपर्क विभाग की वेब साईट का कोई धनी धोरी नहीं बचा है। किसी शनिवार या रविवार को शाम तक इसमें महज दो ही खबरें होती हैं। हद तो तब हो जाती है जब यह वेब साईट शाम पांच बजे तक अपडेट ही नहीं होती है। शाम तक इसमें पिछले दिनों की ही खबरें दिखती रहती हैं। कहा जा रहा है कि किसी नेता विशेष के इशारे पर एमपी का पब्लिसिटी डिपार्टमेंट शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ षड्यंत्र में लग चुका है। देश के मीडिया संस्थान शाम तक एमपी की सरकारी खबरों के लिए मुंह ताकने पर मजबूर हो जाते हैं। शिवराज सिंह चौहान चूंकि बेहद सहज, सरल और ग्रामीण परिवेश के हैं, इसलिए उनकी लोकप्रियता नरेंद्र मोदी के मुकाबले कहीं से कम नहीं है। भाजपा में शिवराज सिंह चौहान को पीएम मटेरियल माना जाता है। उन्हीं के अधीन आने वाले इस विभाग की वेब साईट का इस तरह सरकार की उपेक्षा करना और शिवराज का खामोश रहना उनकी सज्जनता का नायाब उदहारण माना जा सकता है।

कहां गईं उमा भारती!

मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की फायर ब्रांड नेत्री उमा भारती इन दिनों राजनैतिक परिदृश्य से लगभग गायब ही हैं। उत्तर प्रदेश चुनावों के पहले ही उन्हें मुख्यमंत्री का उम्मीदवार भी माना जा रहा था। उमा भारती को लेकर तरह तरह के सवाल सियासी फिजां में तैरने लगे हैं, जिनका जवाब किसी के पास नहीं है। उत्तर प्रदेश में चरखारी विधानसभा से उमा भारती विधायक हैं, पर अपने विधानसभा क्षेत्र में ही उन्हें किसी ने नहीं देखा है। उमा भारती की खोज खबर लेने पर भाजपा के पदाधिकारी भी बगलें झांकते ही नजर आते हैं। भाजपा के एक पदाधिकारी ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर कहा कि उमा भारती काफी दुखी और नाराज बताई जा रही हैं। वे उत्तर प्रदेश से पलायन का मन बना चुकी हैं। कहा तो यहां तक भी जा रहा है कि उमा भारती उत्तर प्रदेश विधानसभा छोड़ने तक का मन बना चुकी हैं।

राय पर नजला बनकर टूटेगी एविएशन रिपोर्ट

मनमोहन सिंह की सरकार की इन दिनों महालेखा परीक्षक विनोद राय पर नजरें तिरछी हो रही हैं। अजीत सिंह के करीबी सूत्रों का कहना है कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा कैग की रिपोर्ट पर नाराजगी जाहिर करते हुए एक कड़ा पत्र लिखा है। सूत्रों का कहना है कि मंत्रालय इस बात से खासा खफा है कि इन प्रतिवेदनों के हिस्से कैसे लीक हो गए और साथ ही साथ इसमें विभाग के नजरिए को नजर अंदाज ही कर दिया गया है। सूत्रों की मानें तो आला अधिकारियों का मानना है कि इन हिस्सों को सोची समझी रणनीति के तहत ही लीक किया गया है। मंत्रालय के इस रवैए से प्रधानमंत्री कार्यालय भी इत्तेफाक रखता दिख रहा है। जानकारों का कहना है कि इस तरह का कड़ा पत्र अपने आप में अनोखा है और पीएमओ के ग्रीन सिग्नल के बिना इस तरह की कार्यवाही संभव ही नहीं है।

पुच्छल तारा

कांग्रेस की नजर में भविष्य के वज़ीरे आज़म राहुल गांधी ने अंततः कह ही दिया है कि अब उनके कांधे बड़ी जिम्मेदारी लेने को तैयार हैं। वैसे भी देश की सियासत का केंद्र 10, जनपथ यानी कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी का आवास ही बना हुआ है। भोपाल से पारूल जैन ने एक कार्टून ईमेल से भेजा है। पारूल के कार्टून का लब्बो लुआब यह है कि राहुल की इस हुंकार से मनमोहन सिंह बस इतना ही कहना चाह रहे हैं कि बड़ी बड़ी भूमिका मत बांधो युवराज राहुल बाबू, सीधे सीधे कह दो कि प्रधानमंत्री की कुर्सी कब छोड़ना है!

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लिमटी खरे
हमने मध्य प्रदेश के सिवनी जैसे छोटे जिले से निकलकर न जाने कितने शहरो की खाक छानने के बाद दिल्ली जैसे समंदर में गोते लगाने आरंभ किए हैं। हमने पत्रकारिता 1983 से आरंभ की, न जाने कितने पड़ाव देखने के उपरांत आज दिल्ली को अपना बसेरा बनाए हुए हैं। देश भर के न जाने कितने अखबारों, पत्रिकाओं, राजनेताओं की नौकरी करने के बाद अब फ्री लांसर पत्रकार के तौर पर जीवन यापन कर रहे हैं। हमारा अब तक का जीवन यायावर की भांति ही बीता है। पत्रकारिता को हमने पेशा बनाया है, किन्तु वर्तमान समय में पत्रकारिता के हालात पर रोना ही आता है। आज पत्रकारिता सेठ साहूकारों की लौंडी बनकर रह गई है। हमें इसे मुक्त कराना ही होगा, वरना आजाद हिन्दुस्तान में प्रजातंत्र का यह चौथा स्तंभ धराशायी होने में वक्त नहीं लगेगा. . . .

4 COMMENTS

  1. भई वाह, आनन्‍द आ गया एक बार फिर लगा मानो देश में पत्रकारिता के इस चौथे स्‍तंभ में दम खम है, वरना सारे के सारे मीडिया के लोग तो बिकाउ ही लगते हैं। आभार प्रवक्‍ता आभार लि‍मटी खरे का

  2. सही कहा सुरेश जी आपने, लिमटी खरे की धारदार कलम को अनेक वेब साईट और समाचार पत्रों में पढने का अवसर मिलता है। प्रवक्‍ता पर उनके लेख विशेषकर दिल्‍ली मेरी जान काफी समय बाद देखकर सुखद अनुभूति हुई। लिमटी जी की कलम इसी तरह धारदार रहे यही कामना है

  3. युवराज प्रधान मंत्री की कुर्सी पर बैठें या न बैठें,एक बात तय है की कांग्रेस के दिन अब गिने चुने रह गए हैं.खरे जी , मोहनदास करम चाँद गाँधी को भारत सर्कार द्वारा अभी तक राष्ट्रपिता का दर्जा आधिकारिक रूप से न देने में शर्म की क्या बात है? भारत गांधीजी से हजारों साल पहले भी एक राष्ट्र था और ये कोई संयुक्त राज्य अमेरिका की तरह बनाया गया राष्ट्र नहीं है की किसी को इसका पित्रपुरुष मानकर उसे राष्ट्रपिता की उपाधि से नवाजा जाये. हजारों साल से इसकी भौगोलिक सीमायें परिभाषित थी.”उत्तरं यत समुद्रस्य, हिमाद्रश्चेव दक्षिणं, वर्ष तद भारतं नामं, भारती यत्र संतति.”भारत में जन्मा हर व्यक्ति, फिर वो चाहे कितना भी बड़ा क्यूँ न हो, इस भारतमाता का पुत्र ही कहलायेगा. राम और कृष्ण को भी इस धरती का पुत्र ही कहा गया है, पिता नहीं. अतः भारत सर्कार ने गांधीजी को अभी तक सरकारी तौर पर राष्ट्रपति के ख़िताब से न नवाजने में कोई गलती नहीं की है और ये शर्मिंदगी की तो बात बिलकुल भी नहीं है. उलटे मेरे विचार में चाहे अनजाने में ही क्यों न हुआ हो ये अच्छा ही है की किसी को भी भारतमाता से ऊपर दजा नहीं दिया गया.

  4. क्‍या लिमटी खरे जी आप तो गायब ही हो जाते हैं हम हैं कि आपके आलेखों को पढने के लिए तरसते रहते हैं। अरे संजीव जी इन्‍हें बांधकर रखिए लिमटी खरे वाकई लेखन के मामले में खरे हैं जब लिखते हैं तो कफन फाडकर लिखते हैं

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