ये है दिल्ली मेरी जान

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लिमटी खरे

युवराज की मुखालफत करते सिब्बल!

देश के मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल पिछले लंबे अरसे से इस बात से खासे आहत हैं कि इंटरनेट पर सोशल नेटवर्किंग वेब साईट्स पर उन्हें जमकर निशाना बनाया जा रहा है। इससे आजिज आकर कपिल सिब्बल ने इस पर पाबंदी लगाने की बात तक कह डाली। कांग्रेस के अंदरखाने में सिब्बल के इस कथन के अलग अलग मायने लगाए जा रहे हैं। दरअसल, गांधी परिवार के युवा नगीने वरूण और राहुल दोनों ही नेट प्रेमी हैं। भाजपा के वरूण गांधी को ट्विट किए बिना चैन नहीं है तो युवराज राहुल गांधी ब्लेक बैरी फोन के जबर्दस्त दीवाने हैं। वे मैसेन्जर के जमकर दीवाने हैं। वरूण के ट्वीट सभी को परेशान किए हुए हैं। सिब्बल द्वारा इसकी मुखालफत करने पर लोग यह कहने से नहीं चूक रहे हैं कि मानव संसाधन और विकास जैसा महत्वपूर्ण विभाग संभालने वाले कपिल सिब्बल आखिर इंटरनेट पर पाबंदी क्यों लगाना चाहते हैं? क्या वे राहुल गांधी का इंटरनेट बंद करवाना चाह रहे हैं?

गुपचुप तरीके से आगे बढ़ते शुक्ला जी,

कांग्रेस के अंदर एक नए प्रबंधक का उदय हो चुका है। केंद्रीय मंत्री राजीव शुक्ला कांग्रेस के नए तारण हार बनकर उभर रहे हैं। वे लो प्रोफाईल में सधे कदमों से आगे बढ़ते जा रहे हैं। वैसे तो राजीव शुक्ला के जिम्मे सदन का फ्लोर मैनेजमेंट का काम है पर पिछली दीपावली और नववर्ष पर शुक्ला जी ने विपक्ष के सदस्यों को जिस कदर साधा है उससे उनकी विश्वसनीयता कांग्रेस के आलाकमान की नजरों में और ज्यादा बढ़ गई है। राजीव शुक्ला ने ढेर सारे तोहफों के साथ विपक्षी सदस्यों के घरों की चौखट पर दस्तक दी। विपक्ष के आला नेता भी जमकर प्रभावित हुए शुक्ला जी की करतूतों से। बस लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष श्रीमति सुषमा स्वराज ने अवश्य राजीव शुक्ला को घास नहीं डाली। सुषमा के करीबी सूत्रों का कहना है कि स्वराज के कार्यालय ने राजीव शुक्ला को साफ तौर पर कह दिया कि चूंकि मदाम के भाई का कुछ महीने पहले ही देहावसान हुआ है अतः मदाम न तो नया साल मनाएंगी और ना ही दीपोत्सव।

माया की राह पर चलने का मन!

उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के आरोपों से निपटने वहां की निजाम मायावती के नए मंत्री हटाओ फार्मूले को मिलती सफलता और मीडिया में उस बात को उछलता देख अब वजीरे आजम का मन भी भ्रष्ट मंत्रियों की बिदाई का बनने लगा है। प्रधानमंत्री के करीबी सूत्रों की मानें तो भ्रष्टाचार के ईमानदार संरक्षक की अघोषित उपाधि पा चुके मनमोहन सिंह अब इस छवि से निजात पाने का मन बना रहे हैं। मनमोहन का मन बन चुका है कि वे भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे मंत्रियों के पर कतरने से काम नहीं चलने वाला अब उनकी बिदाई ही उनकी छवि को नया रूप प्रदान कर सकती है। सूत्रों ने कहा कि मनमोहन सिंह अब व्यग्र होने लगे हैं कि वे अपनी नई टीम को साफ सुथरी छवि का बनाएं ताकि आने वाले समय में देश में उनकी छवि वाकई ईमानदार की बनी रहे। इसके लिए वे कांग्रेस के आला नेताओं से मोर्चा लेने को भी तैयार नजर आ रहे हैं।

त्रिवेदी पर से हटा ममता का आंचल!

त्रणमूल कांग्रेस सुप्रीमो सुश्री ममता बनर्जी इन दिनों केंद्रीय रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी से एक बार फिर खासी खफा नजर आ रही हैं। ममता के करीबी सूत्र कह रहे हैं कि वे इस बारे में भी विचार कर रही हैं कि केंद्र में चंद्राबाबू नायडू पेटर्न (नायडू ने एनडीए को बाहर से समर्थन दिया था) को अपनाया जाए। ममता भी बिना मंत्री पद लिए त्रणमूल का बाहर से केंद्र को समर्थन दे सकती हैं। सूत्र बताते हैं कि ममता इस वक्त सबसे ज्यादा खफा केंद्रीय रेल मंत्री से हैं। केंद्रीय रेल मंत्री का कार्पोरेट चाल चलन उन्हें कतई रास नहीं आ रहा है। बताते हैं कि ममता की त्योंरियां तब चढ़ गईं जब उनके संज्ञान में यह लाया गया कि दिनेश त्रिवेदी के मंत्री बनते ही सबसे पहला फोन गुजरात के निजाम नरेंद्र मोदी का आया। ममता ने अब त्रिवेदी और मोदी के बीच के कनेक्शन खोजने के लिए अपने बंदे पाबंद कर दिए हैं।

ईवीएम पर विपक्ष की खामोशी!

इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन के साथ छेड़छाड़ की शिकायतें आम ही रही हैं। लोग दावा भी करते रहे हैं कि ईवीएम से छेड़छाड़ संभव नहीं है। नासा और दुनिया के चौधरी अमेरिका के डिपार्टमेंट एनर्जी की पिछले दिनों आई रिपोर्ट के आधार पर दावा किया गया है कि ईवीएम को हेक किया जा सकता है। अर्थात ईवीएम के माध्यम से कूटरचना कर आप चुनाव में परचम लहरा सकते हैं। केंद्रीय गृह मंत्री पलनिअप्पम चिदम्बर की जीत को भले ही भाजपा संदेह की नजरों से देखे पर पर अमेरिका ओर नासा के प्रतिवेदन पर भाजपा सहित अन्य सियासी दलों की खामोशी आश्चर्य के साथ ही साथ संदेहों को जन्म दे रही है। आखिर क्या वजह है कि भाजपा और अन्य सियासी दल इस मामले में हाय तौबा नहीं मचा रहे हैं। क्या सभी सियासी दलों ने मिलकर देश की रियाया को बेवकूफ बनाकर मिल बांटकर लूटने का प्लान बना रखा है?

राहुल से खफा नजर आ रहे आला नेता

राहुल गांधी की छवि अब तक देश में सर्वमान्य नेता की नहीं बन पाई है। वर्ष 2010 तक लोग उन्हें सक्षम और समझदार और सीखने वाला समझ रहे थे। पिछले साल कांग्रेस की नजर में देश के भावी प्रधानमंत्री राहुल गांधी के सलाहकारों विशेषकर ठाकुर लाबी के चलते लोग उनसे दूरी बनाने लगे हैं। घपले घोटालों और भ्रष्टाचार पर उनकी चुप्पी ने देशवासियों को अचरज के साथ ही साथ आहत भी कर डाला है। राहुल गांधी के सलाकारों मुख्यतः राजा दिग्विजय सिंह, कनिष्क सिंह और जितेंद्र सिंह की कारगुजारियों के चलते अब कांग्रेस में ही उनका विरोध आरंभ हो गया है। पिछले दिनों राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा अलवर के सांसद जितेंद्र सिंह के खिलाफ परचम बुलंद करते दिखाई दिए। अशोक गहलोत ने अब जितेंद्र सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल लिया है। सूत्रों ने बताया कि टीम राहुल पर करारा प्रहार करते हुए अशोक गहलोत नेे कहा कि जितेंद्र सिंह ने राज्य सरकार को बताए बिना ही युवराज राहुल गांधी को भरतपुर बुला लिया। अगर वहां कोई अनहोनी हो जाती तो इसका जवाबदेह कौन होता?

सिब्बल बने कांग्रेस के लिए सरदर्द

वजीरे आजम के खासुलखास मानव संसाधन और विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने मुस्लिमों को लुभाने के लिए उर्दू भाषा के प्रचार हेतु गठित राष्ट्रीय परिषद में संदिग्ध लोगों को शामिल कर विपक्ष की धार मनमोहन के प्रति तेज करने के मार्ग प्रशस्त कर दिए हैं। कांग्रेस के तारणहार की भूमिका में आने के उपरांत लोगों के आक्रोश का शिकार बनने वाले कपिल सिब्बल को पार्टी और सरकार दोनों ही ने पर्दे के पीछे बलात ही ढकेल दिया था। कपिल सिब्बल पिछले कुछ सप्ताह से टीवी पर भी सामने नहीं दिख रहे हैं। सोशल नेटवर्किंग वेबसाईट्स पर भी कपिल सिब्बल पर जमकर निशाने साधे गए। हाल ही में सिब्बल ने उर्दू के प्रचार के लिए बनाई गई चौबीस सदस्यीय परिषद मंआ शेख अलीमुद्दीन असादी जैसी शख्सियत को भी स्थान दे दिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार अलीमुद्दीन दसवीं कक्षा तक अध्ययन नहीं कर सके हैं। ये पूर्व में मांस का व्यापार करते थे। इतना ही नहीं इसमें शामिल हफीज करीम का नाम नैना साहनी मर्डर केस में नामजद बताया जा रहा है।

एसे हो रहा सरकारी निर्देशों का पालन!

केंद्र सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय का प्रमुख दायित्व पर्यावरण प्रदूषण को हर हाल मे नियंत्रित करना ही है। केंद्र सरकार की छटवीं अनुसूची में शामिल मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य विकासखण्ड घंसौर में देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर जिनका राजनैतिक क्षेत्र में भी इकबाल बुलंद है, के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा दो चरणों में लगाए जा रहे कोल आधारित पावर प्लांट से क्षेत्र में कहर बरपने के साथ ही साथ पर्यावरण का जमकर नुकसान होने की उम्मीद जताई जा रही है। उक्त संयंत्र प्रबंधन द्वारा संयंत्र क्षेत्र में बिना वृक्षारोपण के ही काम आरंभ करवा दिया गया। दो सालों से प्रबंधन ने एक भी पौधा नहीं लगाया और प्रबंधन को संयंत्र के प्रथम चरण की अनुमति वन मंत्रालय द्वारा दे दी जाना अपने आप में किसी अजूबे से कम नहीं है। सच है माता लक्ष्मी में बड़ी ताकत होती है। माता सरस्वती के दास भी लक्ष्मी माता के आगे नतमस्तक होते हैं।

मन को सांसे अधार दे रहे हैं राहुल

सियासी गलियारों में मनमोहन सिंह की बिदाई कभी भी तय मानी जा रही है। यह मामला एक साल से अधिक समय से चला आ रहा है, किन्तु लंबित ही है। सियासी जानकारों की मानें तो मनमोहन को बतौर प्रधानमंत्री बनाए रखने में सबसे अधिक सहायक अगर कोई शख्सियत है तो वह हैं राहुल गांधी खुद। दरअसल, महमोहन का कोई विकल्प कांग्रेस के पास नहीं है। कांग्रेस किसी एसी शख्सियत को वजीरे आजम नहीं बनाना चाहती जो विवादों में हो। कांग्रेस के पास प्रणव मुखर्जी और ए.के.अंटोनी के नाम सबसे उपर हैं। प्रणव ने एक बार राजीव गांधी का विरोध किया था तो अंटोनी और सोनिया की करीबी उनके लिए बाधक बन रही है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि राहुल गांधी अभी भी राजनैतिक तौर पर परिपक्वता को नहीं पा सके हैं। यही कारण है कि राहुल गांधी की इम्मेच्योरिटी ही मनमोहन सिंह के लिए सांसे बनकर उभर रही है।

मनमोहन की भाजपा से नूरा कुश्ती!

एक के बाद एक गल्तियों, घपलों, घोटालों के बाद भी विपक्ष में बैठी भाजपा ताकतवर तरीके से विरोध प्रदर्शित नहीं कर पा रही है जिसका पूरा पूरा लाभ वजीरे आजम डॉक्टर मनमोहन सिंह द्वारा उठाया जा रहा है। कांग्रेस नीत संप्रग सरकार ने न जाने कितने मौके भारतीय जनता पार्टी को घर बैठे बिठाए दिए जिसका लाभ उठाकर भाजपा चाहती तो प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह की रूखसती के मार्ग प्रशस्त कर सकती थी, वस्तुतः सारे मौके भाजपा ने देखते ही देखते गंवा दिए। पिछले साल मनमोहन सिंह के संकटमोचक बने मानव संसाधन विकास तथा संचार मंत्री कपिल सिब्बल की जुबान अनेक मर्तबा फिसली पर भाजपा ने उनकी अनदेखी कर मनमोहन सिंह को परोक्ष तौर पर मजबूती ही प्रदान की है। अब तो कहा जाने लगा है कि मनमोहन सिंह और भाजपा के बीच जबर्दस्त फिक्सिंग है, यही कारण है कि भाजपा मनमोहन सिंह को पूरा पूरा मौका दे रही है और मनमोहन बेफिक्र होकर देश पर राज कर रहे हैं।

पुच्छल तारा

देश के गणतंत्र की स्थापना के वक्त महज दस साल के लिए किए गए आरक्षण का स्वरूप आज छः दशकों बाद भयावह हो चुका है। आज आरक्षण के नाम पर सियासत के घोड़े दौड़ रहे हैं। आरक्षण के नाम पर इंसान और इंसान में भेद हो रहा है। केंद्र के हाल ही में मुसलमीनों के आरक्षण की बात पर मध्य प्रदेश से संतोष नगपुरे ने एक जोरदार एसएमएस भेजा है। संतोष लिखते हैं कि परीक्षा में कुछ सालों के उपरांत कांग्रेस के राज में बनने वाली सरकार में पेपर का पेटर्न कुछ इस प्रकार होगा। जनरल कैटेगरी -‘‘सारे प्रश्न अनिवार्य हैं।‘‘, ओबीसी -‘‘पचास फीसदी प्रश्नों के जवाब दें।‘‘, एससी एसटी -‘‘केवल प्रश्न पत्र पढ़ें, जवाब देना अनिवार्य नहीं।‘‘ एवं मुसलमानों के लिए -‘‘आपके आने का शुक्रिया।‘‘

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