खा रहे हो नमक,ऐसे मत दगा दीजिये

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आर के रस्तोगी

खा रहे हो नमक,ऐसे मत दगा दीजिये |
मुल्क का फर्ज कुछ तो अदा कीजिये ||

खाते हो किसी का,गुण गाते किसी का |
ऐसे तो इस मुल्क को न दगा दीजिये ||

महफूज हो यहाँ पर,फिर भी डरने लगे |
फितरत दिमाग की,जरा कम कर लीजिये ||

खा कर भी गुर्रा रहे,ऐसा तो मत कीजिये |
ऐसा मुल्क न मिलेगा,बस कर देख लीजिये ||

बोलने पर पाबन्दी नहीं,बनते हो बेजुबान |
रहमत ख़ुदा की है,उसको जरा दुआ दीजिये ||

आर के रस्तोगी
गुरुग्राम (हरियाणा)

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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