तुम मेरे बादल हो,मै तुम्हारी काली घटा हूं।

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न सावन सूखी हूं मै,न भादो हरी हूं,
बस मै तो आपके दिल की परी हूं।

रखो जिस हाल में तुम अब मुझको,
मै तो तुम्हारी जीवन की सहचरी हूं।।

करतीं हूं प्यार तुमसे अपने दिल से ज्यादा,
बेवफा न कभी होना,करो तुम ये वादा।
चलते रहना इस राह पर भले रोडे आए,
तोड़ना न कभी ये जीवन की ये मर्यादा।।

तुम मेरे चन्दा हो,मै तुम्हारी किरण हूं,
अहो भाग्य है मेरे,मै तुम्हारी शरण हूं।
आयेगी मुसीबत कभी जीवन में तुम्हारे,
हर मुसीबत में,मै तुम्हारे ही संग हूं।।

तुम मेरे बादल हो,मै तुम्हारी काली घटा हूं,
चमकेगी बिजली,लगेगी मै तुम्हारी छटा हूं।
बरसोगे जब तुम कभी,नीचे जमीं पर,
लोग समझेगा मै तुम्हारी ही काली घटा हूं।।

तुम मेरे अलि हो,मै तुम्हारी ही कली हूं,
चूस लेना मुझको,मै तुम्हारी ही कली हूं।।
बन्द करके रखूंगी,रात भर मै तुमको,
उड़ने न दूंगी तुमको,इतनी न मैं भली हूं।।

पक्का है प्यार हम दोनों का ज्यादा इतना,
टूटेगा न कभी ये,चाहे जोर लगाले जितना।
सात जन्म तक बंधा रहेगा ये बन्धन हमारा,
लिखा है ऐसी स्याही से,कभी न ये मिटना।।

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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