तुम पास आ गई हो,दिल को चैन आ गया है

0
187

तुम पास आ गई हो,दिल को चैन आ गया है
पुरानी यादो का मुझे,आज ध्यान आ गया है
छोड़ना ना मुझे तुम,कहीं जाना न अब तुम
आखरी मोड़ पर मिले,साथ निभाना अब तुम
बड़ी मुद्दतों के बाद,ऊपर वाला मेहरबा हो गया है
तुम पास आ गई हो,दिल को अब चैन आ गया है

कहाँ चली गई थी तुम,क्यों छोड़ गई थी तुम
क्या खता हो गई मुझसे,जो रूठ गई थी तुम 
मुझे मनाना आ गया,तुम को बहलाना आ गया है
पुरानी बातो को अब दोनों को भुलाना आ गया है
तुम पास आ गई हो,दिल को चैन आ गया है
पुरानी यादो का मुझे,आज ध्यान आ गया है

तुम आ गई हो,बहारो में नूर आ गया है
जिन्दगी काटने का एक सहारा आ गया है
कसम खाओ अब छोड़ कर न जाओगी तुम
दो चार दिन की जिन्दगी है निभाओगी तुम
तुम आ गयी हो,जिन्दगी का सहारा आ गया है
तुम पास आ गई हो,दिल को करार आ गया है

जवानी चली गई है,बुढ़ापा आ गया है
जिन्दगी का  आखरी दौर आ गया है
उम्र नहीं लड़ने की मनाने का समय आ गया है
सूरज छिप चूका है जाने का समय आ गया है
तुम मिल गयी हो,जिन्दगी का लुत्फ़ आ गया है
तुम पास आ गयी हो,दिल को  चैन आ गया है

आर के रस्तोगी    

Previous articleन्याय , ,आरक्षण , ,आरक्षण विरोध __यह सब क्या है ?
Next article अहम सवाल- जिन्दगी जैसी है वैसी क्यों हैं
आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here